वाराणसी में रेलवे कॉलोनी के क्वार्टर से तेज दुर्गंध आ रही थी। इसकी वजह से लोगों को शक हुआ तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो शव की हालत देखकर हर कोई हैरान रह गया क्योंकि कर्मचारी का शव सड़ चुका था।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश की विश्वनाथ नगरी काशी के सिटी रेलवे स्टेशन के पास तेज दुर्गंध आने की वजह से पुलिस और आरपीएफ को स्थानीय लोगों ने सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने अंदर का नाजारा देखा तो सहमने के साथ-साथ आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि बंद कमरे में रेलकर्मचारी का सड़ा-गला शव मिला है। इतना ही नहीं शव के पास में ही शराब की खाली बोतल भी पुलिस को बरामद हुई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। वहीं दूसरी ओर कई दिनों से बंद मकान में शव मिलने की सूचना से रेलवे कॉलोनी में सनसनी मच गई है।
बंद मकान में दुर्गंध आने से लोगों को हुआ शक
जानकारी के अनुसार शहर के सिटी रेलवे स्टेशन के पास अलईपुरा स्थित रेलवे कॉलोनी के क्वार्टर से दुर्गंध आ रही थी। पुलिस ने मृतक की पहचान की तो पता चला कि आईओडब्लू कंस्ट्रक्शन विभाग में खलासी के पद पर कार्यरत लालजी साहनी (54) के तौर पर हुई थी। पुलिस को जिस क्वार्टर (टीएल-24 एच) से शव मिला वो उनके नाम पर ही आवंटित थी। दरअसल रविवार को क्वार्टर नंबर टीएल-24 एच से आ रही तेज दुर्गंध के चलते शक हुआ। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना आरपीएफ और पुलिस को दी। मौके पर पुलिस पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था और दरवाजे को तोड़ने पर कमरे में साहनी का शव मिला।
गोरखपुर का मूल निवासी था रेलकर्मचारी
मृतक युवक साहनी को लेकर इंस्पेक्टर जैतपुरा मथुरा राय ने बताया कि मूल रूप से गोरखपुर का निवासी था। यहां रेलवे के क्वार्टर में वह परिवार के साथ रहता था। पिछले साल पुत्र की शादी करने परिवार सहित अपने पैतृक गांव गया था। उसके बाद परिवार को वहीं छोड़ कर लालजी वापस आ गया था और तभी से वह क्वार्टर में अकेले रह रहा था। इस वारदात की सूचना परिजन को दे दी गई है। संदिग्ध हाल में मौत को लेकर पूरे रेलवे कॉलोनी में सनसनी फैल गई है। पुलिस के अनुसार साहनी के शव के पास से कुर्सी पर पेंट और शराब की खाली बोतल मिली है और मौत का प्रथम दृष्टया हालत बिगड़ने के कारण मान कर जांच की जा रही है। वहीं दूसरी ओर कॉलोनी में रह रहे लोगों का कहना है कि लालजी शराब का आदि था। इसकी वजह से क्वार्टर में अक्सर बाहरी लोगों का आना-जाना लगा रहता था।