
Gyanvapi Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे के बाद 17 मई को रिपोर्ट पेश की गई। हालांकि, सर्वे कमिश्नर की ओर से अभी रिपोर्ट जमा कराने के लिए दो दिन का समया मांगा गया, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद मंगलवार शाम 4 बजे तक फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं मुसलिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश 1991 के द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (The Places of Worship Act) का उल्लंघन कर रहा है। आखिर क्या है ये कानून और क्यों शिवलिंग मिलने के बाद भी मंदिर बनने के रास्ते में अड़ंगा लगा सकता है।
क्या है 'द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट'
'द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' (The Places of Worship Act) के तहत देश में 15 अगस्त, 1947 के बाद किसी भी धार्मिक और पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल में नहीं बदला जा सकता। यानी उसका रिलीजियस नेचर नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है। कुल मिलाकर, इस एक्ट में कहा गया है कि आजादी के वक्त जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था, वैसा ही रहेगा। ये एक्ट 11 जुलाई 1991 को लागू किया गया था।
तो क्या काशी-मथुरा पर काम नहीं करेगा ये एक्ट?
'द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 (1) में कहा गया है कि कोई भी धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस स्थिति में था और जिस समुदाय का था, वो भविष्य में भी वैसl और उसी समुदाय का रहेगा। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस कानून के सेक्शन 4 का सब-सेक्शन 3 कहता है कि जो प्राचीन और ऐतिहासिक जगहें 100 साल से ज्यादा पुरानी हैं, उन पर ये कानून लागू नहीं होगा।
किसने किया लागू :
'द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' 1991 में कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार लाई थी। तब बीजेपी ने इस कानून का विरोध भी किया था। हालांकि, विरोध के बाद भी ये एक्ट पास हो गया। बता दें कि एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि ये कानून देश के बाकी समुदायों हिंदू, जैन, सिख और बौद्धों के संवैधानिक अधिकार छीनता है। उपाध्याय के मुताबिक, ये कानून जिन धार्मिक स्थलों को विदेशी आक्रांतओं ने तोड़ा उन्हें वापस पाने के सारे रास्ते बंद करता है।
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद में पूरा हुआ सर्वे, जानें 3 दिन में क्या हुआ और अब तक क्या-क्या मिला
क्या है पूरा मामला :
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 5 महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा के लिए एक याचिका लगाई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। 3 दिन तक चले सर्वे में सोमवार को मस्जिद में वजू करने वाली जगह पर 12 फीट का शिवलिंग मिलने का दावा हिंदू पक्ष द्वारा किया जा रहा है। वहीं वाराणसी कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिन का समय और दे दिया है। अब 19 मई तक रिपोर्ट पेश की जाएगी।
ये भी पढ़ें :
Gyanvapi Dispute:क्या है ज्ञानवापी मस्जिद केस, जानें अब तक इस मामले का पूरा घटनाक्रम
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में आखिर क्या हैं दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे
Gyanvapi Masjid dispute:आखिर क्या है ज्ञानवापी का मतलब? जानें इसका इतिहास और विवाद
उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।