वीडियो डेस्क। करवाचौथ का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन हर सुहागिन अपने पति के लिए निर्जल व्रत रखती है। और पति की लंबी आयु की कामनां करती हैं। सदियों से महिलाएं ये व्रत करती आईं हैं। चांद को देखने और अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं पानी पीती हैं। लेकिन ऐसे में सवाल भी मन में उठता है कि आखिर सबसे पहले कब और किसने ये व्रत किया था।
वीडियो डेस्क। करवाचौथ का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन हर सुहागिन अपने पति के लिए निर्जल व्रत रखती है। और पति की लंबी आयु की कामनां करती हैं। सदियों से महिलाएं ये व्रत करती आईं हैं। चांद को देखने और अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं पानी पीती हैं। लेकिन ऐसे में सवाल भी मन में उठता है कि आखिर सबसे पहले कब और किसने ये व्रत किया था। कहां से शुरु हुई करवाचौथ की परपंरा। तो आज आपको बतातें हैं कि इस व्रत के पीछे की कहानी है क्या। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले यह व्रत शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए सुहागिनें अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और राक्षसों के मध्य भयंकर युद्ध छिड़ा था। लाख उपायों के बावजूद भी देवताओं को सफलता नहीं मिल पा रही थी और दानव थे कि वह हावी हुए जा रहे थे। तभी ब्रह्मदेव ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस व्रत को करने से उनके पति दानवों से यह युद्ध जीत जाएंगे। इसके बाद कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी ने व्रत किया और अपने पतियों के लिए युद्ध में सफलता की कामना की। कहा जाता है कि तब से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई।