इस बार 21 फरवरी, शुक्रवार को महाशिवरात्रि है। इस मौके पर हम आपको भगवान शिव और उनके वाहन नंदी से जुड़ी खास बात बता रहे हैं। हम अक्सर देखते हैं कि भक्त जब शिव मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है, जो इस प्रकार है-
वीडियो डेस्क। इस बार 21 फरवरी, शुक्रवार को महाशिवरात्रि है। इस मौके पर हम आपको भगवान शिव और उनके वाहन नंदी से जुड़ी खास बात बता रहे हैं। हम अक्सर देखते हैं कि भक्त जब शिव मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है, जो इस प्रकार है-
इसलिए नंदी के कान में कहते हैं मनोकामना
जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं।
जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं।
ऐसे में उन तक हमारे मन की बात नहीं पहुंच पाती। इस स्थिति में नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।
शिवपुराण में नंदी को भगवान शिव का ही अवतार बताया गया है। नंदी भगवान शिव के गणाध्यक्ष भी हैं।