वीडियो डेस्क। श्रीमद् भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया है कि हमारा शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है। आत्मा निश्चित समय के लिए शरीर धारण करती है और जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे इंसान की मृत्यु कहा जाता है। मृत्यु के बाद शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। अंतिम संस्कार
वीडियो डेस्क। श्रीमद् भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया है कि हमारा शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है। आत्मा निश्चित समय के लिए शरीर धारण करती है और जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे इंसान की मृत्यु कहा जाता है। मृत्यु के बाद शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। अंतिम संस्कार के समय शव के मुख पर चंदन की लकड़ी रखना जरूरी है। जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें...
1. हिंदू परंपरा में मृतक का दाह संस्कार करते समय उसके मुख पर चंदन रख कर जलाने की परंपरा है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। चंदन की लकड़ी शीतल होती है।
2. पुराने समय में अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ियों से ही किया जाता था, लेकिन अब चंदन की लकड़ी बहुत महंगी है और सभी के लिए चंदन की लकड़ी से शवदाह कर पाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में सामान्य लकड़ियों से शवदाह किया जाता है और चंदन की लकड़ी मुख पर रखी जाती है, ताकि चंदन की लकड़ी से शवदाह करने की परंपरा का पालन हो सके।
3. चंदन की ठंडक के कारण शिवलिंग पर चंदन लगाया जाता है। चंदन का तिलक लगाने से हमारे मस्तिष्क को ठंडक मिलती है।
4. पुरानी मान्यता के अनुसार शव के मुख पर चंदन की लकड़ी रख कर दाह संस्कार करने से उसकी आत्मा को शांति मिलती है। मृतक को यमलोक में भी चंदन की तरह शीतलता मिलती है।
5. वैज्ञानिक कारण ये है कि मृतक का दाह संस्कार करते समय मांस और हड्डियों के जलने से तेज दुर्गंध फैलती है। ऐसे में चंदन की लकड़ी के जलने से दुर्गंध का असर कम होता है।