वीडियो डेस्क। पूजा के दौरान भगवान को भोग जरूर लगाया जाता है। बाद में इसी भोग को भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। भोग में पंचामृत का विशेष महत्व है। पंचामृत का अर्थ है पांच अमृत यानी पांच पवित्र वस्तुओं से बना हुआ। यह मिश्रण दूध, दही, घी चीनी और शहद मिलाकर बनाया जाता है। पंचामृत से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान को चढ़ाए हुए पंचामृत को पीने से मनुष्य जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है।
वीडियो डेस्क। पूजा के दौरान भगवान को भोग जरूर लगाया जाता है। बाद में इसी भोग को भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। भोग में पंचामृत का विशेष महत्व है। पंचामृत का अर्थ है पांच अमृत यानी पांच पवित्र वस्तुओं से बना हुआ। यह मिश्रण दूध, दही, घी चीनी और शहद मिलाकर बनाया जाता है। पंचामृत से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान को चढ़ाए हुए पंचामृत को पीने से मनुष्य जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है।
आयुर्वेद में पंचामृत
आयुर्वेद में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने मिश्रण को पंचामृत कहते हैं। वाराणसी के एस ए एस आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधिकारी वैद्य प्रशांत मिश्रा के अनुसार इस मिश्रण को पीने से शरीर में 7 धातुएं बढ़ती हैं। यानी रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मजा और शुक्र बढ़ने से शरीर मजबूत होता है। इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रामक रोगों से भी बचा जा सकता है। जानिए इसके अन्य फायदे-
1. पंचामृत पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती है।
2. पंचामृत में मौजूद पांच चीजों से कम समय में शरीर को ज्यादा ऊर्जा मिलती है। पंचामृत का सेवन शरीर के लिए बेहद सेहतमंद रहता है।
3. पंचामृत में तुलसी का एक पत्ता डालकर इसका नियमित सेवन करते रहने से किसी भी तरह का रोग नहीं होता।
4. पंचामृत के सेवन से संक्रामक रोग दूर रहते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
5. इससे चेहरे के रंगत निखरती है और लालिमा बनी रहती है।