वीडियो डेस्क। शारदीय नवरात्रि की द्वितिया तिथि यानि 18 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
वीडियो डेस्क। शारदीय नवरात्रि की द्वितिया तिथि यानि 18 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
कौन है देवी ब्रह्चारिणी
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन तपस्या की। इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया हैं। मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। इसके बाद मां ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप को सहन करती रहीं। टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। भगवान शिव को पाने के लिए मां ने कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या की। तब मां का नाम अपर्णा नाम पड़ गया। तपस्या से प्रसन्न होकर सभी देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि ने मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया।