वीडियो डेस्क। इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के दौरान प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देवी के बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो पहाड़ों पर बने हुए हैं। देवी के अलावा और भी
वीडियो डेस्क। इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के दौरान प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देवी के बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो पहाड़ों पर बने हुए हैं। देवी के अलावा और भी देवताओं के मंदिर पहाड़ों पर बनाए गए हैं जैसे- बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि। पहाड़ों पर मंदिर बनाने के पीछे भी एक अहम वजह है। जानिए क्या है वो वजह-
पहाड़ों पर मंदिर बनाने का पहला कारण
1. पहाड़ी पर बने मंदिरों का स्वरूप कुछ-कुछ पिरामिड से मेल खाता है। ग्रीक भाषा में पायर शब्द का अर्थ है अग्नि। पिरामिड का अर्थ है, जिसके मध्य में अग्नि है वह वस्तु।
- अग्नि एक प्रकार की ऊर्जा है। अतः पिरामिड का सही अर्थ हुआ- जिसके मध्य में अग्निमय ऊर्जा बहती है। वैज्ञानिक शोधों से भी पता चला है कि पहाड़ी स्थानों पर पॉजिटिव एनर्जी का स्तर आमतौर पर ज्यादा होता है।
-जब लोग पहाड़ों पर दर्शन के लिए जाते हैं तो उस पॉजिटिव एनर्जी का असर उनके मनो-मस्तिष्क पर भी होता है। और उनके मन स्पिरिचुअल (आध्यात्मिक) भाव जागते हैं।
पहाड़ों पर मंदिर बनाने का दूसरा कारण
- प्राचीन भारत के ऋषि मुनि जानते थे कि आने वाले समय में मनुष्य अपनी सुविधा के लिए जंगल आदि सभी नष्ट कर देंगे, ऐसी स्थिति में योग साधना के लिए स्थान शेष नहीं बचेंगे।
- मनुष्य रहने के लिए समतल भूमि पर उपयोग करेंगे, ये भी ऋषि-मुनि जानते थे, इसलिए उन्होंने मंदिर के लिए पहाड़ों को चुना। यहां आकर योगी अपनी साधना आसानी से कर सकते हैं, क्योंकि यहां एकांत होता है।
- काम कैसा भी हो, उसे पूरा करने के लिए एकाग्रता होनी बहुत जरूरी है। साधना के लिए मन एकाग्र नहीं चाहिए। यह काम एकांत में ही संभव है।
पहाड़ों पर मंदिर बनाने का तीसरा कारण
- इसके अलावा एक कारण ये भी है कि पहाड़ों पर प्राकृतिक सौंदर्य अपने मूल रूप में होता है, जो जीवन में ताजगी लाता है।
- जब लोग पहाड़ों पर दर्शन के लिए आते हैं तो उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है, जो अन्य कहीं देखना संभव नहीं है।