वीडियो डेस्क। 25 मार्च, बुधवार से देवी आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहा है। इन 9 दिनों में इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 साल में 4 नवरात्रि आती है, इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त होती है। ये चारों ही नवरात्रि ऋतुओं के
वीडियो डेस्क। 25 मार्च, बुधवार से देवी आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहा है। इन 9 दिनों में इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 साल में 4 नवरात्रि आती है, इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त होती है। ये चारों ही नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल पर आती हैं। जानिए क्या है इसका वैज्ञानिक कारण-
- चैत्र नवरात्रि शीत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल पर आती है। इस समय शीत ऋतु का प्रभाव कम होता है और ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव अधिक होता है।
- शीत और ग्रीष्म ऋतुओं के मेल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसके कारण मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।
- इस समय नवरात्रि होने से साधक को कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है जैसे- उपवास करना और जप, तप करना।
- उपवास के दौरान फलाहार करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और जप-तप से भी शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
- उपवास और जप-तप से प्राप्त ऊर्जा के कारण मौसमी बीमारियां का असर शरीर पर नहीं होता और हम स्वस्थ बने रहते हैं।
- यही कारण है कि प्राचीन ऋषि-मुनियों ने समय माता आराधना के लिए नियमत किया ताकि हम मौसमजनित बीमारियों से बचे रहें।