आजादी के अमृत महोत्सव में आज बात इस महिला समूह कि जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी। वे महिलाएं जो पिछड़ी जातियों की थी। ये वे महिलाएं हैं जिनका जिक्र इतिहास के पन्नों में नहीं किया गया है जानिए कौन थीं वे वीरांगनाएं
1857 के पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले बहादुर राजाओं, रानियों, नवाबों और बेगमों के बारे में हर कोई जानता है। हाल के अध्ययनों में पता चला है कि इस लड़ाई में पिछड़ी जातियों आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। ये वो समूह था जो केवल दंतकथाओं और किंवदंतियों में ही रहा। इन महिला बहादुरों में रानी अवंती बाई, महाबीर देवी, झलकारी देवी, उदा देवी, आशादेवी शामिल हैं। यदि अवंती बाई राम गढ़ की लोधी राजपूत रानी थीं, तो महाबीर सबसे निचली जाति, भंगी से आती थीं। झलकारी कोरी जाति से थी, उदा देवी एक पासी थी, और आषादेवी एक गुर्जरी थी, जो सभी जाति पदानुक्रम में नीची थीं। जानें आजादी में इनके संघर्ष की दास्तां