आजादी की लड़ाई में कई ऐसे क्रांतिकारियों ने साथ दिया जिनका नाम इतिहास के पन्नों में भले ही ना हो लेकिन उनके संघर्ष के चर्च जरूर हैं। भारत के उत्तर-पूर्वी प्रांतों में कई ऐसे क्रांतिकारी हुए। आइये जानते हैं नागा नेता हैपो जादोलंग मलंगमे की कहानी
देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भारत के उत्तर-पूर्वी प्रांतों की भूमिका को ज्यादा मान्यता नहीं मिली है। ये वे लोग थे जिनके सीने में आजादी के लिए आग धधक रही थी। इस क्षेत्र की विभिन्न जनजातियों का अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिशोध का एक पुराना इतिहास रहा है। इन क्रांतिकारियों में से एक थे नागा नेता हैपौ जादोलंग मलंगमे। आइये जानते हैं उनकी प्रेरक कहानी। जादोलंग का जन्म 1905 में मणिपुर के कांबिरन गांव के जेलियांग्रोंग समुदाय की रोंगमेई नागा जनजाति में हुआ था। वह अंग्रेजों के सांस्कृतिक और राजनीतिक आक्रमण के खिलाफ आजीवन युद्ध छेड़ने वाले उत्तर पूर्वी जनजातियों के पहले व्यक्ति थे। जानिए उनकी कहानी।