यह कोई फिल्मी स्टंट नहीं है। यह मध्य प्रदेश की रियल घटना है। नदियों पर पुल न होने से तमाम गांवों के लोग इसी तरह अपनी जान खतरे में डालते हैं। मप्र के दो गांव के लोगों ने प्रशासन से इसकी शिकायत की। अफसरों को लगा शायद झूठ होगी। लेकिन जब खुद असलियत जानने पहुंचे, तब जान की कीमत समझ आई।
देवास/इंदौर. इंदौर जिले के सांवेर में सोमवार को कुछ अफसर शिप्रा नदी में डूबते-डूबते बचे। उनकी नाव नदी में पलट गई थी। ये अफसर गांव के हालात का मुआयना करने जा रहे थे। दरअसल, देवास जिले के हिरली और इंदौर जिले की सांवेर तहसील के सिमरोल गांव के लोग रोज रस्सी के सहारे नदी पार करते हैं। उन्होंने प्लास्टिक की टंकियों को बांधकर एक नाव भी तैयार की है। हिरली गांव के 100 से ज्यादा बच्चे रोज इसी तरह सिमरोल गांव के स्कूल पढ़ने आते हैं। गांव वाले लंबे समय से यहां पुल की मांग करते आ रहे हैं। पिछले दिनों गांववालों विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद कुछ अफसर असलियत जानने सोमवार को गांव जा रहे थे। शिक्षा विभाग के ये अफसर गांववालों की बनाई टेम्परेरी नाव से गांव जाने निकले थे। वे कुछ दूर ही पहुंचे थे कि नाव डगमगाने लगी। इससे पहले कि कोई संभल पाता, वो पलट गई। हालांकि वहां किनारे पर कई लोग मौजूद थे, लिहाजा उन्होंने चारों अफसरों को डूबने से बचा लिया। लेकिन इस घटना के बाद अफसरों को समझ आ गया कि गांववाले कैसे रोज अपनी जान खतरे में डालते हैं।