लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर का अपने घर लौटना जारी है। इसके लिए मजदूर हर तरीके आजमाने को तैयार हैं। मजदूरों का दर्द देखिए बिन चप्पल के ये पंजाब के अंबाला से दिल्ली आ गए। साइकिल पर छोटे बच्चे और पुलिस की सख्ती के बारे में बता रहे हैं। एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने जब इनसे बात की तो इन्होंने अपना दर्द बयां किया। इनकी हालत देख मीडियाकर्मी ने अपने जूते इन्हें दे दिए। बता दें मजदूरों को लौटा लाने में ही सरकारों का फायदा है, क्योंकि उसके बिना कारखाने और उद्योग-धंधे कैसे चलेंगे ? उन्हें फिर से चलवाने के लिए राज्य सरकारें इतनी उद्यत हैं कि उन्होंने अपने श्रमिक कानूनों में भारी छूट दे दी हैं। मजदूरों की आमदनी और सुरक्षा बढ़ाने पर तुरंत जोर देना चाहिए। देश के करोड़ों मजदूरों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा तो बाजार की रौनक भी बढ़ेगी और काम-धंधे भी जोर पकड़ेंगे।
वीडियो डेस्क। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर का अपने घर लौटना जारी है। इसके लिए मजदूर हर तरीके आजमाने को तैयार हैं। मजदूरों का दर्द देखिए बिन चप्पल के ये पंजाब के अंबाला से दिल्ली आ गए। साइकिल पर छोटे बच्चे और पुलिस की सख्ती के बारे में बता रहे हैं। एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने जब इनसे बात की तो इन्होंने अपना दर्द बयां किया। इनकी हालत देख मीडियाकर्मी ने अपने जूते इन्हें दे दिए। बता दें मजदूरों को लौटा लाने में ही सरकारों का फायदा है, क्योंकि उसके बिना कारखाने और उद्योग-धंधे कैसे चलेंगे ? उन्हें फिर से चलवाने के लिए राज्य सरकारें इतनी उद्यत हैं कि उन्होंने अपने श्रमिक कानूनों में भारी छूट दे दी हैं। मजदूरों की आमदनी और सुरक्षा बढ़ाने पर तुरंत जोर देना चाहिए। देश के करोड़ों मजदूरों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा तो बाजार की रौनक भी बढ़ेगी और काम-धंधे भी जोर पकड़ेंगे।