मुस्लिम नहीं, ये हैं बड़े नॉनवेज प्रेमी

पूरी दुनिया में ऐसा माना जाता है कि हिंदू समुदाय के लोगों में मांसाहार का प्रचलन कम है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि हिंदू ज्यादा मांस खाते हैं और उनमें नॉन-वेज फूड का क्रेज बढ़ता जा रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 21, 2019 2:40 AM IST / Updated: Oct 21 2019, 11:48 AM IST

हटके डेस्क। पूरी दुनिया में ऐसा माना जाता है कि हिंदू समुदाय के लोगों में मांसाहार का प्रचलन कम है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि हिंदू ज्यादा मांस खाते हैं और उनमें नॉन-वेज फूड का क्रेज बढ़ता जा रहा है। लोग मांसाहार को आधुनिकता और संपन्नता से जोड़ कर देखने लगे हैं। वहीं, काफी लोगों का यह मानना है कि मांसाहार स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद है। पहले जहां हिंदुओं में बकरे का मांस और मछली खाने का प्रचलन ज्यादा था, अब ये देखा जा रहा है कि वे हर तरह के जानवरों का मांस खाने लगे हैं। 

भारत में शाकाहारियों का अनुपात 23 से 37 प्रतिशत
पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के आंकड़ों से पता चला है कि देश में मांसाहार करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। साल 2011-12 के राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के आंकड़ों से पता चला कि देश में करीब 8 करोड़ लोग, यानी औसतन हर 13 में से एक भारतीय बीफ भी खा रहा था। पता चला कि इन 8 करोड़ लोगों में से 7 प्रतिशत सवर्ण सहित करीब सवा करोड़ लोग हिंदू थे। इसके बाद हुए सर्वे से पता चला कि मांसाहारियों की संख्या में और भी ज्यादा वृद्धि हुई है और शाकाहारियों का अनुपात सिर्फ 23 से 27 प्रतिशत रह गया है।

एक अमेरिकी अध्ययन में ज्यादा मांसाहारी पाए गए
साल 2018 में हुए एक अमेरिकी अध्ययन में मांसाहारियों की संख्या और भी ज्यादा पाई गई। यह अध्ययन अमेरिका में रहने वाले एंथ्रोपॉलोजिस्ट बालमुरली नटराजन और उनके सहयोगी अर्थशास्त्री सूरज जैकब ने किया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि सिर्फ 20 प्रतिशत भारतीय ही अब शाकाहारी हैं। इस अध्ययन में हिंदुओं को सबसे बड़ा मांसाहारी समुदाय बताया गया। यह भी बताया गया कि 18 करोड़ यानी करीब 15 प्रतिशत भारतीय बीफ खाते हैं। एक दूसरे विश्लेषण 'इंडिया स्पेंड' में यह दावा किया गया कि 80 प्रतिशत भारतीय पुरुष और 70 प्रतिशत भारतीय महिलाएं हर सप्ताह नहीं भी तो कभी न कभी मांसाहार जरूर करते हैं।

यूरोप में घट रहा है मांसाहार
वहीं, देखा जाए तो यूरोप में पर्यावरण को लेकर बढ़ रही जागरूकता के चलते मांसाहार कम हो रहा है। जर्मनी जो यूरोप में आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा और संपन्न देश है, वहां मांसाहार करने वालों की संख्या में कमी आई है। एक आंकड़े के अनुसार वहां करीब 10 प्रतिशत लोग पूरी तरह शाकाहारी बन गए हैं। कई लोग तो दूध, दही और मक्खन जैसी चीजों से भी परहेज करने लगे हैं जो पशुओं से मिलती हैं। इसी तरह, यूरोप के दूसरे देशों में भी शाकाहार को बढ़ावा मिल रहा है और विशुद्ध शाकाहारियों के लिए अलग से रेस्तरां तक खुलने लगे हैं।

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