इस्लाम में ऐसी कई बातें लिखी गई है जो ये साफ़ करती हैं कि इस धर्म में महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें हैं। इनमें से एक है कि महिलाएं सेक्स लाइफ का लुत्फ ना उठा पाए। इसके लिए उन्हें खतना से गुजरना पड़ता है।
भारत: दुनिया के ज्यादातर देशों में महिलाओं को मुश्किल जिंदगी का सामना करना पड़ता है। लेकिन इनमें भी कुछ देशों में धर्म के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है। इसमें इस्लाम में कई कुप्रथाएं हैं, जो महिलाओं की जिंदगी नर्क बना देती हैं। इनमें से एक है खतना प्रथा। देश के कई इस्लामिक देशों में इस कुप्रथा को माना जाता है।
बोहरा समुदाय में होता है ऐसा
संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक करीब 20 करोड़ लड़कियों का खतना किया जा चुका है। इनमें से आधी लड़कियां मिस्र, इथोपिया और इंडोनेशिया की हैं। इन 20 करोड़ में चार करोड़ चालीस लाख लड़कियों का खतना तब किया गया, जब वो 14 साल से कम उम्र की थी। इस रिवाज को ज्यादातर मुस्लिम बोहरा समुदाय में किया जाता है।
क्या होता है खतना
इस प्रथा में बच्चियों के प्राइवेट पार्ट में कुछ अंश को ब्लेड से काट दिया जाता है। इस दौरान बच्चियों को बेहोश भी नहीं किया जाता है। कुछ महिलाएं बच्ची के हाथ-पैर पकड़ते हैं और एक महिला मुल्तानी मिट्टी लगाकर ब्लेड से सामने का हिस्सा काट देती है। इस प्रक्रिया के बाद बच्चियां दर्द से कई महीनों तक छटपटाती हैं। साथ ही कई मामलों में में इन्फेक्शन के कारण उनकी मौत भी हो जाती हैं।
क्यों होता है खतना?
इस्लाम के मुताबिक, इस प्रथा के बाद महिलाएं अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर महिला की सेक्स में रूचि रहती है तो ये गलत है। उसे सेक्स एन्जॉय करने का कोई हक़ नहीं है। इसलिए खतना प्रथा के जरिए महिला के प्राइवेट पार्ट्स को काट दिया जाता है।
कई तरह के हैं नुकसान
इस प्रक्रिया में एक ही ब्लेड से कई खतना करने पर इन्फेक्शन फ़ैल जाता है। साथ ही महिलाएं बांझपन का भी शिकार हो जाती हैं। कई केसेस में ज्यादा खून बहने के कारण बच्चियों की मौत भी हो जाती है। कुछ दर्द ना सह पाने के कारण कोमा में चली जाती हैं।