पति की गोद में सिर रखकर तोड़ा था कस्तूरबा ने दम, इस बीमारी ने ले ली थी जान

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है। सुबह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजघाट में उन्हें नमन किया। दुनिया को अहिंसा के मार्ग पर लाने वाले बापू अपनी पूरी जिंदगी में एक महिला के सामने कमजोर पड़ जाते थे। इस महिला की मर्जी के खिलाफ बापू कोई भी काम नहीं करते थे।  

हटके डेस्क: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बातों से पूरी दुनिया प्रभावित होती थी। लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश देने वाले गांधीजी हमेशा अपने मन की करते थे। सभी उनकी बातों को मानते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बापू की जिंदगी में एक ऐसी महिला थीं, जिनके खिलाफ गांधीजी कभी नहीं जाते थे। ये थीं उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी। 

पति की गोद में तोड़ा था दम 
कस्तूरबा गांधी की मौत 22 फरवरी, 1944 को हुई थी। इससे पहले वो काफी लंबे समय तक बीमार थीं। उन्हें अस्थमा की समस्या थी। साथ ही उन्हें सांस से जुड़ी एक और बीमारी क्रोनिक ब्रोंकाइटिस थी। इसमें फेफड़े में काफी कफ जमा होता है, जिससे सांस लेने में समस्या पैदा होती है। इस कारण कस्तूरबा गांधी का दिल भी कमजोर हो गया था। अपने आखिरी समय में कस्तूरबा पूणा में थी, जहां उन्हें अचानक दौरे आने लगे। जिसके बाद उन्होंने बापू को मिलने का संदेशा भिजवाया। कस्तूरबा ने बापू का 60 साल तक साथ निभाया और आखिर में उनकी गोद में दम तोड़ा। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई मौतें देखी थी। लेकिन कस्तूरबा की मौत ने उन्हें तोड़ दिया था। 

Latest Videos

पति के खिलाफ हो जाती थीं कस्तूरबा 
कस्तूरबा गांधी का बापू की जिंदगी में काफी अहम स्थान था। बापू ने एक बार कहा था कि कस्तूरबा उनकी ताकत हैं। कस्तूरबा गांधी ने हर मोड़ पर महात्मा गांधी का साथ दिया था। दोनों की शादी काफी कम उम्र में हो गई थी। दोनों के 4 बेटे थे। 30 साल की उम्र में दोनों ने ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ले ली। बापू ने अपने सत्याग्रह आंदोलन की प्रेरणा कस्तूरबा को बताया था। कस्तूरबा काफी जिद्दी थीं। अगर कोई बात उनके दिल और दिमाग को मंजूर नहीं होती थी, उसे वो किसी कीमत पर नहीं करती थीं। भले ही वो उनके पति की कोई बात क्यों ना हो? 

आदर्शवादी पत्नी थीं कस्तूरबा 
कस्तूरबा गांधी एक आदर्श पत्नी थीं। उन्होंने बापू के हर फैले में उनका साथ दिया। उनकी अपनी भी एक मजबूत पहचान थीं। गांधीजी हर मसले पर उनकी राय लेते थे। हर मोड़ पर कस्तूरबा ने उनका साथ दिया। गांधीजी के आश्रम में कस्तूरबा सारे काम संभालती थीं। साथ ही उन्होंने अकेले ही चारों बच्चों की परवरिश भी की।  

Share this article
click me!

Latest Videos

CM योगी आदित्यनाथ ने गिना दिया बंटने से अब तक क्या-क्या हुआ नुकसान #Shorts
Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
Dehradun Car Accident: 13 दिन ली गई कार बनी 6 दोस्तों के लिए 'काल', सामने आया सबसे बड़ा सवाल
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
अब नहीं चलेगा मनमाना बुलडोजर, SC के ये 9 रूल फॉलो करना जरूरी । Supreme Court on Bulldozer Justice