इसे कहते हैं 'मुर्दों का शहर', जो भी यहां गया, जिंदा लौटकर नहीं आ पाया

दुनिया का एक ऐसे शहर जिसे लोग ‘सिटी ऑफ द डेड’ यानी की मुर्दों का शहर कहते हैं। इस शहर में जाने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता। आईये जानते हैं कि आखिर क्या है इस मुर्दों के शहर का रहस्य।

Asianet News Hindi | Published : Nov 4, 2019 11:11 AM IST

रूस: रूस के उत्तरी ओसेटिया के सुदूर वीरान इलाके में दर्गाव्स गांव मौजूद है। इस जगह को ‘सिटी ऑफ द डेड’ यानी ‘मुर्दों के शहर’ के नाम से जाना जाता है। यह जगह पांच ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच छिपी हुई है। यहां पर सफेद पत्थरों से बनी अनगिनत तहखाना नुमा इमारते हैं। इनमें से कुछ तो 4 मंजिला ऊंची भी है। लेकिन सबसे हैरत की चीज तो ये है कि यहां कई छोटे-छोटे घर बने हैं। ये घर किसी और के लिए नहीं, बल्कि मुर्दों के लिए बनाए गए हैं। 

हर इमारत में दफन है शव
हर इमारत की प्रत्येक मंजिल में लोगों के शव दफनाए हुए है। जो इमारत जितनी ऊंची है उसमें उतने ही ज्यादा शव है। इस तरह से हर मकान एक कब्र है और हर कब्र में अनेक लोगों के शव दफनाए हुए है। ये सभी कब्र तकरीबन 16वीं शताब्दी से संबंधित हैं। इस कब्रिस्तान में आज भी उस समय से संबंधित लोगों के शव दफन है। हर इमारत एक परिवार विशेष से संबंधित है जिसमें केवल उसी परिवार के सदस्यों को दफनाया गया है।

जो एक बार गया वो लौटकर नहीं आया
स्थानीय लोगों का मानना है कि पहाडिय़ों पर मौजूद इन इमारतों में जाने वाला लौटकर नहीं आता। शायद इसी सोच के चलते, यहां मुश्किल से ही कभी कोई टूरिस्ट पहुंचता है। हालांकि, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। पहाडिय़ों के बीच संकरे रास्तों से होकर यहां तक पहुंचने में तीन घंटे का वक्त लगता है। यहां का मौसम भी सफर में एक बहुत बड़ी रुकावट है।

नदी नहीं होने के बावजूद कैसे पहुंची नावें?
पुरातत्वविदों को यहां कब्रों के पास नावें मिली हैं। उनका कहना है कि यहां शवों को लकड़ी के ढांचे में दफनाया गया था, जिसका आकार नाव के जैसा है। हालांकि, ये अभी रहस्य ही बना हुआ है कि आस-पास नदी मौजूद ना होने के बावजूद यहां तक नाव कैसे पहुंचीं? नाव के पीछे मान्यता ये है कि आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी होती है, इसलिए उसे नाव पर रखकर दफनाया जाता है। यहां पुरातत्वविदों को हर तहखाने के सामने कुआं भी मिला। इस कुएं को लेकर ये कहा जाता है कि अपने परिजनों के शवों को दफनाने के बाद लोग कुएं में सिक्का फेंकते थे। अगर सिक्का तल में मौजूद पत्थरों से टकराता, तो इसका मतलब ये होता था कि आत्मा स्वर्ग तक पहुंच गई।

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