प्लेबॉय कैसे बना महाराज!

आसियान देशों के सम्मेलन को लेकर थाईलैंड चर्चा में है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें भाग लेने के लिए गए हैं। वे 2 नवंबर से 4 नवंबर तक थाईलैंड में ही रहेंगे। इस मौके पर हम थाईलैंड के राजा महा वाचिरालोंगकोंन के बारे में बताने जा रहे हैं कि वे कैसे गद्दी पर बैठे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2019 8:17 AM IST / Updated: Nov 02 2019, 03:14 PM IST

हटके डेस्क। आसियान देशों के सम्मेलन को लेकर थाईलैंड चर्चा में है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें भाग लेने के लिए गए हैं। वे 2 नवंबर से 4 नवंबर तक थाईलैंड में ही रहेंगे। इस मौके पर हम थाईलैंड के राजा महा वाचिरालोंगकोंन के बारे में बताने जा रहे हैं कि वे कैसे गद्दी पर बैठे। बता दें कि वाचिरालोंगकोंन की छवि एक प्लेबॉय की रही है। वे अय्याश तबीयत के इंसान हैं। उन्हें अपने मनमाने व्यवहार के लिए भी जाना जाता है। उन्हें डॉन जुआन जैसा माना जाता है, जो एक काल्पनिक चरित्र है और एक बड़े अय्याश के रूप में जिसका चित्रण किया गया है। अपने पिता सम्राट भूमिबोल अदुल्यादेज अक्टूबर, 2016 में निधन के बाद महा वाचिरालोंगकोंन 66 साल की उम्र में थाईलैंड की राजगद्दी पर बैठे। भूमिबोल अदुल्यादेज 70 वर्षों तक थाईलैंड के राजा रहे। इनसे ज्यादा लंबे  समय तक थाईलैंड पर किसी राजा ने शासन नहीं किया। 

सम्राट भूमिबोल का दुनिया भर में था सम्मान
सम्राट भूमिबोल अदुल्यादेज का थाईलैंड ही नहीं, पूरी दुनिया में सम्मान था। वे  राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे थाईलैंड में एकता और स्थिरता के प्रतीक थे। दो दशकों से राजनीतिक रूप से अस्थिर थाईलैंड में उन्होंने शांति स्थापित करने की भरपूर कोशिश की थी। लेकिन वाचिरालोंगकोंन की पहचान अलग तरह की है। उनमें राजनीतिक परिपक्वता नहीं है। उनकी पहचान एक प्लेबॉय की है। लोगों का मानना है कि उनके राजा रहते हुए थाईलैंड में संवैधानिक राजतंत्र का भविष्य सुरक्षित नहीं है। राजगद्दी पर बैठते ही उन्होंने सारी सत्ता अपने हाथों में केंद्रित करने की कोशिश शुरू की और सेना के सहयोग से थाईलैंड की संपदा पर कब्जा करना शुरू किया। 

रंगीन मिजाज रहे वाचिरालोंगकोंन
वाचिरालोंगकोंन का जन्म  बैंकॉक में 28 जुलाई, 1952 को हुआ। वे इकलौते पुत्र थे। साल 1972 में उन्हें राजा का उत्तराधिकारी घोषित किया गया। वाचिरालोंगकोंन  का बचपन बहुत ही शान-शौकत में गुजरा। उन्हें पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा गया। इसके बाद वे ऑस्ट्रेलिया गए। वहां उन्होंने 1976 में रॉयल मिलिट्री कॉलेज, कैनबरा से ग्रैजुएशन किया। साल 1977 में उन्हेंने पहली शादी की। इसके बाद वे अय्याशियों में डूब गए। कई औरतों के साथ उन्होंने संबंध बनाए। उन्हें एक वुमनाइजर के रूप में जाना जाने लगा और इससे थाईलैंड के राज परिवार की बड़ी बदनामी होने लगी। उनकी मां उनके इस व्यवहार से बहुत दुखी रहती थीं और 1980 में अमेरिका जाने पर वहां उन्होंने अपने कई इंटरव्यू में अपने पुत्र की निंदा की। उन्होंने कहा कि एक स्टूडेंट के रूप में वह अच्छा रहा, इंसान भी बुरा नहीं है, पर औरतें उसकी कमजोरी हैं।

पालतू कुत्ते को बनाया एयरचीफ मार्शल
वाचिरालोंगकोंन ने 2001 में फिर शादी की। उन्होंने कहा कि अब वे एक पारिवारिक जीवन बिताएंगे। पर उनके व्यवहार में ज्यादा बदलाव नहीं आया। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते फू फू को एयर चीफ मार्शल की पदवी दी और राजकीय समारोह कर उसका बर्थडे मनाया। इसका वीडियो दुनिया भर में फैल गया। एक पालतू कुत्ते को थाई एयरफोर्स में चीफ मार्शल बनाने पर दुनिया भर में उनका मजाक उड़ा। जब 2015 में उस कुत्ते की मौत हुई तो बौद्ध परंपरा के अनुसार उसका अंतिम संस्कार समारोहपूर्वक किया गया। वाचिरालोंगकोंन का गैरजिम्मेदारी से भरा व्यवहार जारी ही रहा। 2016 में जर्मनी के एयरपोर्ट पर उनकी एक तस्वीर सामने आई, जिसमें वे एक ऐसी जींस पहने नजर आए, जिसमें उनका कमर का निचला हिस्सा साफ नजर आ रहा था और उन्होंने कई टैटू बनवा रखे थे। इस बीच, उन्होंने एक और शादी की थी। इसी साल पिता की मौत के बाद वे राजगद्दी पर बैठे। इसके बाद  मई, 2019 में सुदिता नाम की एक महिला से शादी कर के उन्होंने सभी को हैरत में डाल दिया। सुदिता फ्लाइट अटेंडेंट होने के साथ उनके बॉडीगार्ड की डिप्टी चीफ थीं। उन्हें क्वीन कॉन्सर्ट की पदवी दी गई।    


  

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