इलाज के बदले 30 रुपए लेता था डॉक्टर, फिर फ्री में देता था HIV

पाकिस्तान से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। वहां के एक डॉक्टर ने एक ही सीरिंज का बार-बार इस्तेमाल कर करीब सैकड़ों बच्चों को एचआईवी इन्फेक्शन का शिकार बना दिया। डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 1, 2019 4:02 AM IST / Updated: Nov 01 2019, 09:34 AM IST

हटके डेस्क। सस्ते इलाज के चक्कर में पाकिस्तान में सैकड़ों बच्चे एचआईवी इन्फेक्शन का शिकार हो गए। वहां बच्चों के एक डॉक्टर ने एक ही सीरिंज का बार-बार इस्तेमाल किया। इस वजह से ऐसा हुआ। डॉक्टर कचरे में फेंक दिए गए सीरिंज का इस्तेमाल करता था। इस डॉक्टर का नाम मुजफ्फर घंघरो है। वह सिर्फ 30 रुपए ही फीस लेता था। सस्ता इलाज होने के कारण उसके यहां काफी संख्या में पेशेंट आते थे। पता चला है कि 12 साल की उम्र तक के करीब 900 बच्चे एचआईवी से पीड़ित हो गए हैं। इन बच्चों का इलाज इसी डॉक्टर के पास हुआ था। इस बात का पता 28 अक्टूबर को चला। डॉक्टर को आपराधिक लापरवाही बरतने के आरोप में  गिरफ्तार कर लिया गया है। 

क्या कहा बच्चों के पेरेंट्स ने
बच्चों के पेरेंट्स ने कहा कि उन्हें इस डॉक्टर पर भरोसा था कि यह सही इलाज करता है। पेरेंट्स ने कहा कि वे देखते थे कि डॉक्टर डस्टबिन से नीडल निकाल कर बच्चों को इंजेक्शन लगाता था। ड्रिप चढ़ाने के लिए भी वह पहले इस्तेमाल किया गया ही नीडल लगाया करता था। एक पेरेंट जिसका 12 साल का लड़का एचआईवी संक्रमण का शिकार हुआ, उसने डॉक्टर से जब ऐसा नहीं करने को कहा तो डॉक्टर ने जवाब में कहा कि वह जितनी कम फीस लेता है, उसमें हर बार नया नीडल नहीं लगा सकता। एक दूसरे अभिभावक ने बताया कि इस डॉक्टर ने एक ही नीडल का इस्तेमाल कर 50 बच्चों को ड्रिप चढ़ाया, जिनमें से ज्यादातर को एचआईवी का संक्रमण हो गया है। 

200 वयस्क भी पाए गए एचआईवी संक्रमित
एक रिपोर्ट के अनुसार, 200 वयस्क भी एचआईवी संक्रमण के शिकार पाए गए हैं। लेकिन ये वो मामले हैं, जिनके बारे में जानकारी मिली है। हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिशियल्स का कहना है कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है, क्योंकि दो लाख से भी ज्यादा लोगों की जांच अभी की जानी है।  

एचआईवी फैल रहा महामारी की तरह
पाकिस्तान में एचआईवी संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं। डॉक्टर इमरान अकबर अरबानी ने सबसे पहले इन मामलों को पकड़ा। उनका कहना है कि जब तक नीम हकीमों, हजामों और क्वैक डेंटिस्ट्स पर कड़ी निगरानी नहीं रखी जाएगी, एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामलों पर लगाम लगा पाना मुश्किल होगा। 

   

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