कोरोना वायरस से संक्रमित इटली के एक बूढ़े पादरी ने अपने इलाज के लिए आए रेस्पिरेटर का इस्तेमाल एक जवान शख्स के ट्रीटमेंट के लिए करने को कह मानवता का एक अनूठा उदारहण पेश किया है।
हटके डेस्क। कोरोना वायरस से संक्रमित इटली के एक बूढ़े पादरी ने अपने इलाज के लिए आए रेस्पिरेटर का इस्तेमाल एक जवान शख्स के ट्रीटमेंट के लिए करने को कह कर मानवता का एक अनूठा उदारहण पेश किया। बता दें कि चीन के बाद कोरोना वायरस से लोगों की सबसे ज्यादा जानें इटली में ही गई हैं। डॉन गियुसेप्पे बेराडेली नाम के 72 वर्षीय पादरी लोम्बार्डी इलाके के रहने वाले थे, जहां कोरोना वायरस का कहर सबसे ज्यादा फैला है। डॉन गियुसेप्पे कैसनिगो के चर्च के सबसे बड़े पादरी थे। इलाके के लोगों में अपनी दयालुता और हंसमुख स्वाभाव के कारण वे काफी लोकप्रिय थे। जब उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ तो उनके इलाज के लिए रेस्पिरेटर की व्यवस्था की गई, लेकिन उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि इससे उस जवान शख्स की जान बचाई जाए, जो उनकी तरह ही कोरोना से संक्रमित था। डॉक्टरों को उनकी बात माननी पड़ी। आखिरकार, उस जवान शख्स को बचा लिया गया, लेकिन पादरी की जान चली गई।
बाइक थी पसंदीदा सवारी
डॉन गियुसेप्पे की सबसे पसंदीदा सवारी एक बाइक थी। वे कहीं भी बाइक से ही आते-जाते थे। अपनी दयालुता और अच्छे स्वभाव के लिए वे पूरे इलाके में जाने जाते थे। पादरी डॉन गियुसेप्पे हमेशा किसी भी जरूरतमंद की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती थी। चैरिटी के कामों लिए वे पूरे इलाके में जाने जाते थे। लोकल मीडिया में उनकी अच्छी-खासी पहचान थी।
14 साल से रह रहे थे लोम्बार्डी में
पादरी डॉन गियुसेप्पे पिछले 14 सालों से लोम्बार्डी में रह रहे थे। कोरोना वायरस फैलने पर भी उन्होंने लोगों की मदद जारी रखी। बाइक उनकी पहचान थी। अक्सर वे लोम्बार्डी और आसापस के इलाके में बाइक से घूमते नजर आ जाते थे। किसी की भी मदद करना उनका स्वभाव था। वे किसी को तकलीफ में नहीं देख सकते थे।
मरते दम तक चैरिटी नहीं छोड़ी
जब वे बीमार पड़े तो उन्हें लोवेरे के एक अस्पताल में दाखिल किया गया। वहां जांच के बाद पता चला कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हो गया है। उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों ने उनके लिए एक रेस्पिरेटर का इंतजाम किया। लेकिन पादरी ने देखा कि अस्पताल में एक जवान मरीज भी उनकी तरह ही सांस की परेशानी से जूझ रहा है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि पहले रेस्पिरेटर से उसकी जान बचाई जाए। वे बूढ़े हो चुके हैं और उनकी जिंदगी के ज्यादा दिन नहीं बचे, लेकिन एक जवान आदमी की जान बचाना ज्यादा जरूरी है। उनकी मौत हो जाने के बाद एक हेल्थकेयर वर्कर ने कहा कि उसने आज तक ऐसा दयालु इंसान नहीं देखा, जिसने मौत को सामने देख कर भी चैरिटी का काम नहीं छोड़ा। लोगों ने कहा कि सच में वे एक हीरो थे।