वायरस का नाम कोरोना क्यों पड़ा, जानें कैसे फैलता है यह और क्या इसका संक्रमण दोबारा भी हो सकता है ?

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार की स्थिति बन गई है। दुनिया के 200 देशों में फैल चुका यह वायरस हजारों लोगों की जान ले चुका है और लाखों लोग इससे संक्रमित हैं। पूरी दुनिया इससे बेहाल है। 

हटके डेस्क। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार की स्थिति बन गई है। दुनिया के 200 देशों में फैल चुका यह वायरस हजारों लोगों की जान ले चुका है और लाखों लोग इससे संक्रमित हैं। पूरी दुनिया इससे बेहाल है। काफी लोगों के मन में यह सवाल पैदा होता है कि इस वायरस का नाम कोरोना क्यों रखा गया। वहीं, लोगों के सामने अभी तक यह साफ नहीं हो चुका है कि यह वायरस कैसे फैलता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस वायरस का संक्रमण क्या दोबारा भी हो सकता है। यानी जो लोग इससे संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, क्या वे फिर इसकी चपेट में आ सकते हैं? जानते हैं इसके बारे में। 

क्यों पड़ा कोरोना नाम
दरअसल, यह विषाणुओं का एक समूह है। इस वायरस को माइक्रोस्कोप से देखने पर इसके इर्द-गिर्द कांटे जैसा स्ट्रक्चर दिखाई पड़ता है। यह मुकुट जैसा लगता है। लैटिन भाषा में कोरोना मुकुट को कहते हैं। यही वजह है कि इस वायरस का नाम कोरोना रखा गया। यह वायरस पहले जानवरों और पक्षियों में फैलता है और उनसे सांसों के जरिए मनुष्यों में भी इसका संक्रमण हो जाता है। यह चीन के वुहान शहर के सीफूड मार्केट से पहली बार फैला।

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पूरी तरह वायरस को समझा नहीं जा सका है
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस वायरस का नाम कोविड-19 रखा है। पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इस वायरस को पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। इसके बारे में फिलहाल जानकारियां जुटाई जा रही हैं। स्पेन के मैड्रिड में हेल्थ इंस्टीट्यूट में शोधकर्ता के रूप में काम करने वाले वैज्ञानिक इजिडोरो मार्टिनेज और स्पेनिश नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में वायरस पर शोध करने वाले वैज्ञानिक लुई एखुआनेस का कहना है कि कोरोना वायरस को समझने के लिए और भी रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

क्या दोबारा हो सकता है संक्रमण
यह एक बड़ा सवाल है कि क्या एक बार ठीक हो जाने पर किसी को इस वायरस का संक्रमण दोबारा हो सकता है। दरअसल, जापान के 70 साल के शख्स को इस वायरस का संक्रमण हुआ था और इलाज के बाद ठीक हो गया। नेगेटिव पाए जाने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद फिर उनमें वायरस के लक्षण उभरने लगे। दोबारा जांच में उन्हें पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने फिर इलाज शुरू किया। डॉक्टरों का कहना है कि यह दोबारा संक्रमण का मामला नहीं है, बल्कि शरीर में वायरस पूरी तरह खत्म नहीं होता और जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है तो फिर से सक्रिय हो जाता है। इसे मेडिकल टर्मिनोलॉजी में 'बाउंसिंग बैक' कहते हैं। हेल्थ साइंटिस्ट्स का कहना है कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इसलिए वायरस से बचाव के लिए इम्युनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। 

 


 

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