पाकिस्तान में 100 साल पुराना मंदिर तोड़ा, 20 मकान भी गिराए; हिंदुओं ने कहा- हमें भारत भेज दो

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले थम नहीं रहे हैं। अब कराची में मंदिर तोड़े जाने की खबर सामने आई है। यहां आजादी से पहले बने एक हनुमान मंदिर को तोड़ दिया गया। इतना ही नहीं मंदिर के आसपास 20 हिंदू परिवारों के मकान भी गिरा दिए गए। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 22, 2020 8:42 AM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले थम नहीं रहे हैं। अब कराची में मंदिर तोड़े जाने की खबर सामने आई है। यहां आजादी से पहले बने एक हनुमान मंदिर को तोड़ दिया गया। इतना ही नहीं मंदिर के आसपास 20 हिंदू परिवारों के मकान भी गिरा दिए गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्डर यहां कॉलोनी बना रहा है। स्थानीय प्रशासन की मदद कर रहा है। 

मंदिर से मूर्तियां भी गायब कर दी गई हैं। इतना ही नहीं इमरान सरकार ने एक बार फिर अल्पसंख्यकों के अत्याचार पर चुप्पी साध ली है। बताया जा रहा है कि मंदिर सोमवार पात तोड़ा गया था और जानकारी शुक्रवार को सामने आई। 

कॉलोनी बनाना चाहता है बिल्डर
द ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, मंदिर के पुजारी का आरोप है कि कराची के बाहरी इलाके लायरी की जमीन एक बिल्डर ने खरीदी। वह यहां कॉलोनी बनाना चाहता है। इसलिए मंदिर और आसपास के हिंदुओं के मकानों को तोड़ दिया गया। मंदिर कोरोना के चलते कुछ महीनों से बंद था। 

पुलिस भी दिखी बिल्डर के साथ
जब हिंदुओं ने मामले की जानकारी दी तो काफी देर बाद मौके पर पुलिस वहां पहुंची। लेकिन तब तक मंदिर गिरा दिया गया था। कमिश्नर अब्दुल करीम मेमन ने कहा, मामले की जांच की जा रही है। वहीं, इलाके में रहने वाला बलोच समुदाय भी मंदिर तोड़े जाने से दुखी है। बलोच नेता इरशाद ने इसका विरोध जताया है। उन्होंने कहा, मंदिर हमारी विरासत का प्रतीक था। 
 
बिल्डर पर धोखा देने का आरोप
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि बिल्डर ने पहले वादा किया था कि मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। मंदिर के पुजारी ने बताया, पहले हमारे घर उजाड़े गए, अब मंदिर तोड़ दिया गया। कोई यह भी नहीं बता रहा है कि हनुमानजी की मूर्तियां कहां हैं। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति है। 

हमें भारत भेज दो- स्थानीय लोग
इलाके में हिंदुओं के 150 परिवार रहते हैं। इन लोगों ने मंदिर गिराए जाने का विरोध किया है। हिंदुओं ने सरकार से भारत का टिकट की व्यवस्था कराने की भी मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इमरान सरकार नहीं चाहती कि हम यहां रहें तो हम भारत चले जाएंगे।

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