
Afghanistan-Pakistan Peace Talks Failed Again: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रही शांति वार्ता एक बार फिर बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। सीमा पार आतंकवाद पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने साफ कहा कि बातचीत रोक दी गई है और चौथे दौर की कोई योजना नहीं है। सवाल उठता है—क्या दोनों देशों के बीच बढ़ती तनातनी किसी बड़े संघर्ष का संकेत है?
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तीसरे दौर की शांति वार्ता दो दिनों तक चली, लेकिन नतीजा वही "ढाक के तीन पात" रहा। पाकिस्तान चाहता था कि अफगानिस्तान लिखित रूप में यह वादा करे कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमलों के लिए नहीं होगा। लेकिन काबुल की तरफ से केवल "मौखिक आश्वासन" दिया गया, जिसे पाकिस्तान ने ठुकरा दिया। इस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा, “हम केवल लिखित समझौते को ही स्वीकार करेंगे, मौखिक भरोसे पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता नहीं चलती।”
ख्वाजा आसिफ ने साफ चेतावनी दी कि अगर अफगान धरती से किसी तरह का हमला हुआ, तो पाकिस्तान उसी अंदाज में जवाब देगा। हालांकि उन्होंने कहा कि जब तक कोई आक्रामकता नहीं होगी, संघर्ष विराम जारी रहेगा। सूचना मंत्री अताउल्लाह तारार ने भी दोहराया कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और संप्रभुता की रक्षा करेगा। साथ ही अफगान तालिबान को याद दिलाया कि आतंकवाद पर नियंत्रण का दायित्व उसी का है और वह अब तक इसमें असफल रहा है।
दोहा और इस्तांबुल में हुई तीनों बैठकों में कतर और तुर्की मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। आसिफ ने कहा, “अगर मध्यस्थों को थोड़ी भी उम्मीद होती, तो वे हमें बातचीत रोकने के लिए नहीं कहते। लेकिन हमारा खाली हाथ लौटना दिखाता है कि अब उन्हें भी काबुल से उम्मीद नहीं रही।”
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की धरती से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे आतंकी संगठन हमले कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में सीमा पर हुई झड़पों ने दोनों देशों के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया है। वार्ता का तीसरा राउंड भी बेनतीजा रहने से यह साफ हो गया कि दोनों देशों के बीच अविश्वास गहराता जा रहा है। पाकिस्तान लिखित गारंटी चाहता है, जबकि अफगान तालिबान अपने रुख पर अड़े हैं। अब देखना यह होगा कि बातचीत का चौथा दौर कब और कैसे शुरू होगा या फिर यह संबंध पूरी तरह टूटने की ओर बढ़ रहे हैं।
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