15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बावजूद पंजशीर प्रांत अब भी पूरी तरह से Taliban के कब्जे में नहीं आ सका है। यहां NRF अभी भी अपना कब्जा बनाए हुए है।
काबुल. पंजशीर प्रांत Taliban के लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। दावा किया जा रहा है कि पंजशीर प्रांत का ख्वाक दर्रा (Khawak pass) और रोखा जिला NRF( National Resistance Front) के नियंत्रण में आ गया है। इसके अलावा पंजशीर में NRF लगातार तालिबान का नियंत्रण क्षेत्र कम करता जा रहा है। इस समय तालिबान लड़ाकों की ज्यादातर इकाइयां बाजारक शहर(Bazarak town) में जमी हुई हैं।
अफगानिस्तान में Taliban:भूखों नहीं मरना है, तो...
अफगानिस्तान गरीबी और भुखमरी के संकट में फंसता जा रहा है। तालिबान(Taliban) की सरकार बनने के बाद लोगों की जिंदगी नरक से बदतर हो गई है। करीब 3.5 करोड़ को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने फूड फॉर वर्क स्कीम लॉन्च की है। इसके तहत मजदूरों को मजदूरी के बदले में गेहूं दिया जाएगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने रविवार को दक्षिणी काबुल में प्रेस कांफ्रेंस के जरिये यह स्कीम लॉन्च की है। स्कीम सभी बड़े शहरों में लॉन्च होगी। इससे अकेले काबुल में ही 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। मुजाहिद ने कहा कि बेरोजगारी खत्म करने में यह बड़ा हथियार साबित होगा, लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए मजदूरों को कड़ी मेहनत करनी होगी।
अफगानिस्तान आतंकवाद का अड्डा न बने
ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस(Elizabeth Truss) ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका देश प्राथमिकता के साथ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगानिस्तान आतंकवाद का अड्डा न बने। बता देंकि एलिजाबेथ 22 से 24 अक्टूबर तक भारत की यात्रा पर थीं। इस दौरान मुंबई में मीडिया से चर्चा करते हुए ब्रिटेन की विदेशमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन कहीं भी आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करता है। कश्मीर में पाकिस्तान से संचालित आतंकवाद पर भी उन्होंने दो टूक कहा कि वे आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करती हैं।
अफगानिस्तान पर नजर बनाए हुए है अमेरिका
इधर, अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैन्य और खुफिया मिशन को चलाए रखने के लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस के इस्तेमाल को लेकर एक डील कर सकता है। पाकिस्तान भी भविष्य में अफगानिस्तान में हवाई हमला करने के लिए अमेरिका को अपना एयरस्पेस इस्तेमाल करने दे सकता है। हालांकि पाकिस्तान का मकसद है कि अमेरिका उसके हितों को देखते हुए भारत पर दबाव डाले।