
Pakistan Religious Violence: पाकिस्तान के फैसलाबाद में अहमदिया समुदाय के दो पूजा स्थालों में आगे लगाने के मामले को लेकर एक बड़ा ट्विस्ट सामने आया है। स्थानीय पुलिस स्टेशन की तरफ से 300 लोगों के खिलाफ आतंकवाद का केस दर्ज करने जैसे कदम उठाया गया है। 47 लोग ऐसे हैं जिनके नाम खास तौर पर दर्ज किए गए हैं। जबकि 300 नाम संदिग्धों की पहचान नहीं हो पाई है। इस मामले को आतंकवाद निरोधी अधिनियम, 1997 की धारा 7 और पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की कई अन्य धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। ये अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है।
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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के टिकट पर खड़े हाफिज रफाकत ने भीड़ का नेतृत्व किया था, जिनके हाथों में रॉड और ईटें मौजूद थीं। भीड़ पूजा स्थल के बाहर जमा हो गई और उस पर पथराव करना शुरू कर दिया। विरोध करने वाले लोगों पर भी जमकर हमला बोला किया। इस दौरान कई लोग घायल हो गए। स्वतंत्रका दिवस की रैलियों का फायदा उठाते हुए नफरत भरे भाषण दिए गए। साथ ही अहमदियों के खिलाफ हिंसा भड़काई गई। 275-करतारपुर में, उन्होंने अहमदियों के दो पूजा स्थलों पर हमला किया, मीनारों को गिरा दिया और उन्हें आग लगा दी। डॉन ने बताया कि ये ढाँचे 1984 से पहले से मौजूद थे।
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इन सबके बीच अहमदिया समुदाय के प्रवक्ता आमिर महमूद ने हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "यह वो आज़ादी नहीं है जिसकी कल्पना पाकिस्तान के संस्थापकों ने की थी। जब तक ऐसे कृत्य करने वालों को न्याय का सामना नहीं करना पड़ता, तब तक असहिष्णुता बढ़ती रहेगी। अधिकारियों को सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।" उन्होंने अपराधियों को इस मामले में कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। इसके अलावा इससे पहले, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने ईसाइयों सहित गैर-मुस्लिम समुदायों के पूजा स्थलों को निशाना बनाने वाले एक मौलवी की अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा की थी।
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