
इस्लामाबाद. रूस, चीन, अमेरिका और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को इस बात पर सहमति जताई कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए केवल वार्ता ही एकमात्र रास्ता है। साथ ही इन प्रतिनिधियों ने तालिबान के साथ अमेरिका की सीधी बातचीत जल्द शुरू किए जाने की भी वकालत की। मॉस्को में दिन भर चली यह वार्ता चीन की तरफ से आयोजित अंतर अफगान संवाद से पहले हुई। अगले हफ्ते बीजिंग में होने जा रही वार्ता को टाल दिया गया है। वार्ता की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने यह बात बताई है। पहचान उजागर न करने की शर्त पर इन अधिकारियों ने कहा कि यह स्थगन कुछ समय का ही होगा लेकिन कोई नयी तारीख नहीं बताई गई है।
अशरफ गनी ने भी कही प्रतिनिधि भेजने की बात
चीन में होने जा रही यह वार्ता जब कभी होगी तब अफगान के परस्पर विरोधी पक्षों के बीच जुलाई के बाद से पहली आमने-सामने की बातचीत होगी। यहां तक कि अपनी सरकार की अगुवाई में नहीं होने वाली किसी भी वार्ता का विरोध करने वाले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी शुक्रवार देर रात को कहा कि वह प्रतिनिधियों को भेजेंगे।
स्थगन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन पिछली अंतर अफगान वार्ता में प्रतिभागियों को लेकर दोनों पक्ष में हुए झगड़े की वजह से देरी हुई थी। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई समेत काबुल से कई प्रमुख अफगान अधिकारी चीन बैठक में शामिल हो सकते हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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