
नई दिल्ली। एक तरफ पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक तंगहाली से गुजर रहा है और विदेशों से कर्ज लेने के लिए हर कोशिश कर रहा तो दूसरी ओर भारत (India) से बराबरी करने के लिए सैन्य खर्च (Defence expenditure) को उलूल-जुलूल तरीके से बढ़ा रहा है। भारत के राफेल जेट (Rafael Jet) खरीदी की देखादेखी पाकिस्तान ने अपने करीबी दोस्त चीन (China) से लड़ाकू विमान खरीदा है। पाकिस्तान ने अपने सर्वकालिक सहयोगी चीन से 25 मल्टीरोल जे-10सी लड़ाकू विमानों (J-10C fighter aircrafts) का एक पूर्ण स्क्वाड्रन खरीदा है।
रावलपिंडी में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद अहमद ने नए खरीद की पुष्टि की, और कहा कि जे -10 सी 23 मार्च, 2022 को पाकिस्तान दिवस समारोह में भाग लेगा। मंत्री ने कहा कि चीनी विमान की खरीद की गई है। बता दें कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों का अधिग्रहण किया।
चीन के JS-10 से पाकिस्तान करेगा प्रदर्शन
राशिद ने कहा कि विदेशी गणमान्य व्यक्ति पहली बार 23 मार्च को पाकिस्तान में होने वाले समारोह में शामिल होंगे। फ्लाई-पास्ट समारोह के दौरान, पाकिस्तान वायु सेना द्वारा चीन के JS-10 (J-10C) विमान का प्रदर्शन करने की उम्मीद है, जिसे राशिद ने भारत द्वारा राफेल लड़ाकू विमान के अधिग्रहण के लिए इस्लामाबाद की प्रतिक्रिया के रूप में जोड़ा था।
पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ उठा रहे आवाज
पिछले साल दिसंबर में J-10C विमान ने पाकिस्तान-चीन संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लिया था। इसके बाद से इस पर बातचीत शुरू हुई। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि J-10C लड़ाकू विमान AESA रडार से लैस हैं जो भारत की हाल ही में हासिल की गई रूसी S-400 वायु रक्षा प्रणालियों से बच सकते हैं। हालांकि, पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने चीन से आयातित घटिया सैन्य हार्डवेयर के संबंध में बार-बार मुद्दों की ओर इशारा किया है। कई मौकों पर, पाकिस्तान स्थित रक्षा विशेषज्ञों ने लड़ाकू लड़ाकू विमानों और सशस्त्र ड्रोन की निम्न गुणवत्ता प्राप्त करने के मुद्दों को उठाया है।
अर्थव्यवस्था खस्ती लेकिन रक्षा खरीद जारी
अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा पाकिस्तान लगातार रक्षा उपकरणों की खरीद कर रहा है। मौजूदा समय में देश का विदेशी कर्ज 85.6 अरब डॉलर है, जो पिछले साल की समान अवधि में 77.9 अरब डॉलर था। कुछ ही हफ्ते पहले, देश को आर्थिक सहायता पैकेज के हिस्से के रूप में सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर का ऋण मिला था। और अभी पिछले हफ्ते, डेटा सामने आया कि पिछले तीन वर्षों में इमरान खान सरकार की नीतियों ने पाकिस्तानी रुपये में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी है। इतना ही नहीं इस्लामाबाद के नीति निर्माता अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता की उम्मीद लगा रहे हैं।
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