
पोलैंड। यूक्रेन पर रूस द्वारा किए गए हमले (Russia Ukraine War) के चलते यूक्रेन में भारत के 20 हजार से अधिक छात्र फंस गए थे। भारत सरकार ऑपरेशन गंगा चलाकर छात्रों को स्वदेश ला रही है। युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसे छात्रों को जान बचाकर यूक्रेन की सीमा तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
एशियानेट के संवाददाता ने यूक्रेन पोलैंड सीमा पर यूक्रेन से आए छात्रों से बात की। एक छात्र ने कहा कि मैं खारकीव में फंसा था। वहां लड़ाई के चलते स्थिति काफी खौफनाक थी। धमाकों की आवाज से हर वक्त डर लगता था। हमलोग बंकर में छिपे थे। भारत जाने के लिए सीमा तक पहुंचने के लिए कहा गया था। सबसे बड़ी चुनौती थी कि बमबारी के बीच सीमा तक कैसे पहुंचेंगे। हमलोगों ने एक दिन में करीब 25 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की।
सीमा पार करने के बाद जान में जान आई
छात्र ने कहा कि इसके बाद हमें बस से ल्वीव शहर तक लाया गया। सफर में 30-31 घंटे का समय लगा। इस दौरान जान खतरे में थी। हमलोगों को डर लग रहा था कि कहीं कोई हमला न हो जाए। यह सफर काफी डरावना और थका देने वाला था। यूक्रेन की सीमा पार करने के बाद जान में जान आई। हमलोग यहां पढ़ने के लिए आए थे। कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
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अब तक लौटे 15920
बता दें कि ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक 76 उड़ानें 15920 से अधिक भारतीयों को भारत वापस ला चुकी हैं। इन 76 उड़ानों में से 13 उड़ानें पिछले 24 घंटों में उतरीं हैं। रविवार को यूक्रेन के पड़ोसी देशों से 11 विशेष नागरिक उड़ानें 2135 भारतीयों को लेकर आएंगी। सोमवार को 8 विशेष उड़ानें संचालित होने की उम्मीद है। इसमें से बुडापेस्ट से 5 उड़ानें, सुसेवा से दो उड़ानें और बुखारेस्ट से एक उड़ान शामिल हैं। इन आठ उड़ानों से 1500 से अधिक भारतीयों को घर वापस लाया जाएगा।
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