सिर्फ सेक्स के लिए निकाह पढ़ रहे तालिबानी लड़ाके, एक लेडी जर्नलिस्ट ने खोल दी पोल, तो भुगतना पड़ा ये अंजाम

अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों की करतूतें दुनिया के सामने लाने पर एक लेडी जर्नलिस्ट को टॉर्चर करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ऑस्ट्रेलियाई जर्नलिस्ट लिन ओडॉनेल ने महिलाओं के यौन शोषण का मुद्दा उठाया था।

(यह तस्वीर लिन ने अपनी रिपोर्ट के साथ पब्लिश की थी। इसमें लिखा गया कि तालिबान के बामियान प्रांत से पीछे हटने के तीन दिन बाद सैघन जिले में एक इंटरव्यू के दौरान 21 जुलाई को 19 वर्षीय तमन्ना अपने चचेरे भाई बास सखीजादा की मौजूदगी में उन्हें अपनी तकलीफ बताती हुई)

वर्ल्ड न्यूज. अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलिया की जानी-मानी जर्नलिस्ट लिन ओ’डॉनेल (Lynne O'Donnell) को टॉर्चर करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। लिन ओडॉनेल को तालिबान ने तीन दिनों तक पिंजरे में कैद रखने के बाद सावर्जनिक माफी मांगने पर ही छोड़ा। लिन ने महिलाओं के यौन शोषण का मुद्दा उठाया था। हालांकि तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय और खुफिया अधिकारियों ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले साल अगस्त में समूह द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अफगान महिलाओं के खिलाफ तालिबान के अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। लिन ने एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें कहा गया था कि तालिबान लड़ाके यहां की महिलाओं से जबर्दस्त निकाह करते हैं। वे उन्हें यौन दासी(sex slavery) बनाकर रखते हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

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sexual slaves यानी यौन दासी का मामला दुनियाभर में उछाला
खामा प्रेस(Khaama Press) की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी संगठन ने लिन ओ’डॉनेल को 3 दिनों तक पिंजरे में बंद रखने के बाद सार्वजनिक माफी(Public Retraction) जारी करने के लिए मजबूर किया। फॉरिनपॉलिसीडॉटकॉम वेबसाइट के लिए लिखने वालीं लिन अकसर चर्चाओं में रहती हैं। लिन ने ट्वीट किया-"मैं और मसूद हुसैनी बामियान में तालिबान लड़ाकों द्वारा महिलाओं और लड़कियों से जबरन शादी-सेक्स स्लेवरी(सेक्स के लिए गुलाम बनाना-sex slavery) की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट करने गई थी। इसके बाद से वे थोड़े नाराज हैं।" मसूद पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता फ्रीलांसर फोटोग्राफर हैं। लिन ने बुधवार(20 जुलाई) को खुलासा किया कि उन्हें तालिबान द्वारा माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया था। जर्नलिस्ट ने इसका भी खुलासा किया है कि तालिबान ने चेतावनी दी थी कि या तो वे माफी मांगे या फिर जेल जाने तैयार रहें। तालिबान को लिन की LGBTQ लोगों पर उनकी रिपोर्टिंग भी मंजूर नही हुई। तालिबान का तर्क है कि अफगानिस्तान में एक भी समलैंगिक( gays) नहीं है।

कौन हैं ये लिन
लिन एक इंटरनेशनल नेवल पर प्रशंसित युद्ध पत्रकार(war journalist) हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में 20 सालों से अधिक मौके पर रिपोर्टिंग की है। हालांकि कथित नजरबंदी(alleged detention), उत्पीड़न और धमकियों के बाद वह वे 20 जुलाई को युद्धग्रस्त देश से पाकिस्तान के लिए चली गईं। फॉरेन पॉलिसी की वेबसाइट पर उनके बायोडेटा के अनुसार, ओ'डॉनेल 2009 और 2017 के बीच एजेंस फ्रांस-प्रेस वायर सर्विसेस(Agence France-Presse wire service ) और एसोसिएटेड प्रेस के लिए अफगानिस्तान में ब्यूरो चीफ रही हैं।

यह भी जानें
तालिबान ने जब अफगानिस्तान की सत्ता हथियाई थी, तब अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक समावेशी समाज और समानता(inclusive society and equality) का वादा किया था। हालांकि ऐसा दिखा नहीं। तालिबान ने 23 मार्च को लड़कियों को 6th क्लास से आगे स्कूल जाने से रोक दिया था। इसके एक महीने बाद महिलाओं के ड्रेस कोड के खिलाफ एक फरमान जारी किया था। अफगानिस्तान में महिलाओं की आवाजाही, एजुकेशन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बैन हैं, जो उनके अस्तित्व के लिए खतरा हैं।

स्थानीय लोगों के अनुसार, तालिबान महिलाओं को स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करने देता है। वुमेन्स अफेयर मिनिस्ट्री अकसर महिलाओं को आवश्यकतानुसार सिक्योरिटी देने के एवज में पैसे की उगाही( extorts money) करता है।

अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत महिला मीडियाकर्मियों को जॉब छोड़नी पड़ी है। देश में लगभग 18 मिलियन महिलाएं स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक अधिकारों के लिए जूझ रही हैं।

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