Gay अधिकार पत्रिका के संपादक हत्याकांड में 6 लोगों को सजा-ए-मौत, धर्मनिरपेक्ष लोगों की हत्या का है आरोप

साल 2016 में बांग्लादेश में कुछ अतिवादी समूहों ने विदेशिायें, धार्मिक अल्पसंख्यकों, धर्मनिरपेक्ष लोगों व ब्लागर्स पर प्राणघातक हमले करने शुरू कर दिए। पूरे देश में भयानक अराजकता फैली थी। जुल्हाज मन्नान भी एक समलैंगिक अधिकार पत्रिका रूपबान के संपादक थे। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2021 10:27 AM IST / Updated: Aug 31 2021, 04:00 PM IST

ढाका। बांग्लादेश में एक साथ छह लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है। यह लोग समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता सहित दो लोगों की हत्या के आरोपी थे। बांग्लादेश के आतंकवाद विरोधी न्यायाधिकरण ने पांच साल पहले हुई इस नृशंस हत्याकांड में सजा-ए-मौत मुकर्रर की है। 

2016 में धर्मनिरपेक्ष लोगों की बड़े पैमाने पर हुई थी हत्याएं

साल 2016 में बांग्लादेश में कुछ अतिवादी समूहों ने विदेशिायें, धार्मिक अल्पसंख्यकों, धर्मनिरपेक्ष लोगों व ब्लागर्स पर प्राणघातक हमले करने शुरू कर दिए। पूरे देश में भयानक अराजकता फैली थी।

जुल्हाज मन्नान भी एक समलैंगिक अधिकार पत्रिका रूपबान के संपादक थे। मन्नान अमेरिकी दूतावास में प्रोटोकॉल अधिकारी रह चुके थे। मन्नान तत्कालीन गवर्निंग आवामी लीग पार्टी के पूर्व विदेश मंत्री दीपू मोनी के चचेरे भाई थे। अप्रैल 2016 में, हमलावरों ने जुल्हाज मन्नान की हत्या कर दी थी। ढाका में एक अपार्टमेंट में हुई हत्याएं नास्तिकों, नरमपंथियों और विदेशियों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों का हिस्सा थीं।

अंसार-अल-इस्लाम और अल-कायदा सहित विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा इन हत्याओं का दावा किया गया था। कुछ हमलों के लिए घरेलू समूह जुमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश और हरकत उल जिहाद को भी दोषी ठहराया गया था।

आठ लोगों को किया गया था नामजद

इन हत्याकांड में आठ लोगों को दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने मामले में आठ संदिग्ध उग्रवादियों को नामजद किया था। आतंकवाद विरोधी विशेष न्यायाधिकरण के न्यायाधीश मोजीबुर रहमान ने फैसला सुनाया कि छह प्रतिवादी दो लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार थे लेकिन दो अन्य को बरी कर दिया। 

कड़ी सुरक्षा के बीच चार आतंकवादी अदालत में मौजूद थे जबकि दो अन्य फरार हैं। सभी की पहचान घरेलू आतंकवादी समूह अंसार-अल-इस्लाम के सदस्यों के रूप में की गई है। हालांकि, बचाव पक्ष के वकीलों ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है।

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