लॉस एंजिल्स काउंटी के एक हालिया अध्ययन ने पुष्टि की कि कोविड -19 के केस उनमें अधिक मिले हैं जो वैक्सीन नहीं लिए हैं। जबकि वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में यह बेहद कम है।
वाशिंगटन। कोरोना महामारी विश्व की महाशक्ति यूएसए में कोहराम मचाए हुए हैं। पूरे देश में करीब 81 लाख एक्टिव केस हैं। तमाम जगहों पर आक्सीजन की कमी दर्ज की जा रही है।
दरअसल, अमेरिका में जून के अंत से कोविड -19 के केस और अस्पताल में भर्ती के मामले बढ़ गए हैं। यूएसए में संक्रमण बढ़ने का सबसे बड़ी वजह डेल्टा वेरिएंट है। अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के अनुसार, 100,317 से अधिक कोविड-19 मरीज अमेरिका के अस्पतालों में भर्ती थे। यह आंकड़ा नौ सप्ताह पहले की तुलना में छह गुना अधिक था।
नवंबर के अंत से जनवरी की शुरुआत तक केवल दूसरी अवधि में यह आंकड़ा 100,000 से ऊपर था, जब देश में मामलों में बड़ी वृद्धि देखी गई थी। हालांकि, लॉस एंजिल्स काउंटी के एक हालिया अध्ययन ने पुष्टि की कि कोविड -19 के केस उनमें अधिक मिले हैं जो वैक्सीन नहीं लिए हैं। जबकि वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में यह बेहद कम है।
वुहान अभी भी कोरोना के प्रभाव से उबर नहीं पाया
मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने के एक साल बाद ऐसे लोगों का स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में कमजोर पाया गया, जो इस खतरनाक वायरस से संक्रमित नहीं थे। ठीक हो चुके मरीजों पर किए गए अध्ययन में कुछ रोगियों में कोविड-19 के लंबे प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है, जो कभी-कभी महीनों तक रहता है। हालांकि, अधिकांश पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
इस स्टडी को बीजिंग और वुहान के चीनी वैज्ञानिकों ने किया है। अध्ययन में जनवरी और मई 2020 के बीच छह और 12 महीनों में वुहान के जिन यिन-टैन अस्पताल में इलाज किए गए 1276 कोरोना रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों का आकलन किया।
दुनिया भर में कोरोना से 4.47 मिलियन लोगों की मौत
अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से अब तक दुनिया भर में 4.47 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 214 मिलियन लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
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