ढाका। बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन और हिंसा में पुलिस के जवानों को निशाना बनाया गया। शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद पुलिसकर्मी छिप गए हैं। मंगलवार को ढाका, बोगुरा और अन्य शहरों में सड़क पर छात्रों को ट्रैफिक संभालते देखा गया।
हाथ में लाठी लिए छात्र लोगों से यातायात के नियमों का पालन कराते दिखे। सड़कों पर कोई यातायात पुलिसकर्मी तैनात नहीं होने से छात्रों ने स्वयंसेवकों के रूप में राजधानी ढाका और बोगुरा जिले के विभिन्न हिस्सों में यातायात प्रबंधन का कार्यभार संभाला।
छात्रों ने की पुलिस स्टेशनों और मंदिरों की सुरक्षा
छात्र ढाका के मीरपुर-2, मीरपुर-10 चौराहे, अगरगांव, बिजॉय सरानी चौराहे और बांग्ला मोटर इलाकों में यातायात की आवाजाही को नियंत्रित करते देखे गए। वे रिक्शा और मोटरसाइकिल समेत किसी भी वाहन को गलत रास्ते पर जाने या चौराहों पर खड़े होने की अनुमति नहीं दे रहे थे। करीब 200 छात्रों ने मीरपुर क्षेत्र में कुछ पुलिस स्टेशनों, चर्चों और मंदिरों की सुरक्षा की।
सोमवार की रात भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी थी। सब कुछ जलाकर राख कर दिया था। थाने में कोई पुलिसकर्मी नहीं था। छात्रों ने बताया कि उन्हें एक लावारिस बंदूक, कुछ टूटी हुई बंदूकें, कुछ गोलियां, एक ग्रेनेड और एक वॉकी-टॉकी मिली है। बोगुरा में छात्रों ने शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करने के लिए स्वयंसेवक के रूप में काम किया। सतमाथा इलाके में कोई पुलिस या यातायात नियंत्रण व्यवस्था नहीं है।
यह भी पढ़ें- बांग्लादेश: सेना के कई जनरल हटाए गए, संसद भंग, मंत्री अरेस्ट, यह है टॉप अपडेट्स
उपद्रवियों ने अल्पसंख्यकों को बनाया निशाना
बता दें कि सोमवार को शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में अराजकता फैल गई थी। पुलिस के जवान अपने घरों में छिप गए। उपद्रवियों को रोकने वाला कोई नहीं था। इस दौरान अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया। मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। हिंदू समाज के लोगों के घरों और दुकानों पर हमले किए गए।
यह भी पढ़ें- भारत में कितने दिनों तक रह सकती हैं शेख हसीना, UK ने शरण न दी तो क्या होगा?