कभी जलमग्न था बांग्लादेश का ये द्वीप ,अब इस पर बसेंगे इतने रोहिंग्या शरणार्थी

Published : Jan 17, 2020, 02:28 PM ISTUpdated : Jan 17, 2020, 02:29 PM IST
कभी जलमग्न था बांग्लादेश का ये द्वीप ,अब इस पर बसेंगे इतने रोहिंग्या शरणार्थी

सार

मानसून के दौरान अक्सर डूब जाने वाले एक द्वीप को 100,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के लिए तैयार किया गया है   

ढाका: मानसून के दौरान अक्सर डूब जाने वाले एक द्वीप को 100,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के लिए तैयार किया गया है लेकिन कॉक्स बाजार में बरसों से रह रहे इन शरणार्थियों को यहां भेजने के लिए किसी भी तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है।

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि भासन चार में बाढ़ सुरक्षा तटबंध, घर, अस्पताल, मस्जिद सभी बनाए गए हैं। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित है। बांग्लादेश शरणार्थी, राहत एवं प्रत्यर्पन आयुक्त महबूब आलम तालुकदार ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया, ''भासन चार बसने के लिए तैयार है। सभी तैयारियां हो चुकी हैं।''

100,000 लोगों को बसाने के लिए बनाया गया है द्वीप

यह द्वीप 100,000 लोगों को बसाने के लिए बनाया गया है। यह संख्या बहुत ही कम है क्योंकि अगस्त, 2017 के बाद से अब तक करीब 700,000 रोहिंग्या मुस्लिम यहां आए हैं। विद्रोहियों द्वारा हमले के बाद बौद्ध बहुल म्यांमार में सेना ने रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जिसके बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए।

इस द्वीप पर अभी विदेशी मीडिया को जाने की अनुमति नहीं है। बांग्लादेश के एक फ्रीलांस पत्रकार सालेह नोमान हाल ही में इस द्वीप पर गए थे। उन्होंने बताया कि यहां विकास हो रहा है। हालांकि 2015 में जब पहली बार बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुस्लिमों को इस द्वीप पर भेजे जाने का प्रस्ताव रखा था तो अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र ने इसका विरोध किया था।

शरणार्थीयों को द्वीप पर जाने के लिए मजबूर नहीं करेंगे

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को बताया है कि उनका प्रशासन इस बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले उनसे संपर्क करेगा और किसी भी शरणार्थी को इस द्वीप पर जाने के लिए मजबूर नहीं करेगा।

यह द्वीप बांग्लादेश के मुख्य हिस्से से 34 किलोमीटर दूर है और सिर्फ 20 साल पहले ही जल से बाहर आया है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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