
ढाका/नई दिल्ली। बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर चटगांव सहित प्रमुख बांग्लादेशी शहरों की सड़कों पर बड़ी संख्या में इस्लामी जमावड़े देखने को मिले। हिफाजत-ए-इस्लाम और इंतिफादा बांग्लादेश जैसे संगठनों के कट्टरपंथी लोग भी इसमें शामिल थे। इन सभी ने इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। इन इस्लामिक संगठनों का कहना है कि इस्कॉन एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन है।
बता दें कि बांग्लादेश में इस्कॉन को बैन करने की ये मांग हाईकोर्ट में दायर उस याचिका के बीच आई है, जिसमें मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले बांग्लादेश के अंतरिम संगठन ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक रिट याचिका के जवाब में इसे एक "धार्मिक कट्टरपंथी संगठन" बताया है। इससे पहले बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और इस्कॉन केंद्रों पर हमले और अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा व्यवहार करने की वकालत करने वाले इस्कॉन के पूर्व सदस्य कृष्ण दास प्रभु को जेल भेजा जा चुका है।
बीते शुक्रवार को, इंतिफादा बांग्लादेश ने ढाका की बैतुल मुकर्रम मस्जिद के बाहर एक सभा के दौरान छह मांगें रखीं। इन मांगों में से एक इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और समूह के खिलाफ जांच व कानूनी कार्रवाई शुरू करने की डिमांड भी शामिल है। बता दें कि बांग्लादेश में जहां मुहम्मद यूनुस अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्याओं और यौन उत्पीड़न की खबरों को मीडिया द्वारा गढ़ी गई कहानी बताकर खारिज करते हैं, वहीं शेख हसीना के तख्तापलट के बाद ढाका का झुकाव इस्लामाबाद की ओर हो गया है। यही वजह है कि बांग्लादेश में इस्लामी समूह सरकार के संरक्षण में अपने पैर पसार रहे हैं।
ढाका स्थित बांग्ला दैनिक देश रूपंतोर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत विरोधी आतंकवादी और अल-कायदा से संबद्ध अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी ने कहा, "इस्कॉन कोई हिंदू संगठन नहीं है। यह यहूदियों द्वारा बनाया गया एक चरमपंथी संगठन है। वे एक के बाद एक अपराध कर रहे हैं। इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाना समय की मांग है। बता दें कि रहमानी वही है, जिसे अगस्त 2024 में यूनुस शासन के सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद रिहा कर दिया गया था।
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