ढाका। बांग्लादेश की सरकार इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) पर बैन लगाने जा रही है। सरकार ने कोर्ट में इस्कॉन को "धार्मिक कट्टरपंथी संगठन" बताया है और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। दरअसल, बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी संगठन इस्कॉन और अन्य हिंदू मंदिरों को निशाना बना रहे हैं। बीते दिनों हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया गया। इसके चलते पूरे बांग्लादेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए बांग्लादेश की सरकार ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग कोर्ट से की है। बुधवार को एक वकील ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस्कॉन के बारे में जानना चाहा। पूछा कि बांग्लादेश में इसकी स्थापना कैसे हुई। अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कहा, "यह संगठन कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। यह एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है। सरकार पहले से ही उनकी जांच कर रही है।"
हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि वे इस्कॉन और देश की समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति पर सरकार की स्थिति को लेकर गुरुवार सुबह तक रिपोर्ट दें। कोर्ट ने सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया।
बता दें कि 5 अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार गिर गई थी। इसके बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गया है। पिछले दिनों हिंदू नेता चिन्मॉय दास को गिरफ्तार किया गया। वह पहले इस्कॉन के सदस्य थे। उनपर इस सप्ताह की शुरुआत में हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का कथित रूप से अपमान करने के आरोप लगे हैं।
भारत सरकार ने चिन्मॉय दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं दिए जाने का विरोध किया है। इसके साथ ही बांग्लादेश की सरकार से कहा है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए।
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