
इज़राइल-ईरान संघर्ष का असर भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर साफ़ दिख रहा है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक, करीब एक लाख टन बासमती चावल ईरान नहीं जा पा रहा है और भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है। सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत के बासमती चावल का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। 2024-25 में भारत ने ईरान को लगभग 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि फंसा हुआ ये चावल, ईरान को होने वाले कुल बासमती निर्यात का 18-20% है।
ये चावल ज़्यादातर गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर फंसा है। पश्चिम एशिया के हालात की वजह से ईरान जाने वाले जहाज़ और बीमा नहीं मिल पा रहा है, जिससे ये समस्या पैदा हुई है। अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में आम शिपिंग बीमा काम नहीं करता, इसलिए निर्यातक माल नहीं भेज पा रहे हैं। ईरान के साथ व्यापार में पहले से ही भुगतान में देरी और मुद्रा संबंधी दिक्कतें थीं, अब शिपिंग की रुकावट ने भारतीय चावल निर्यातकों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। इस बीच, घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमत 4-5 रुपये प्रति किलो कम हो गई है। 2024-25 में भारत का कुल बासमती चावल निर्यात लगभग 60 लाख टन था, जिसकी मांग ज़्यादातर पश्चिम एशियाई देशों से आती है। इराक, यूएई और अमेरिका दूसरे बड़े आयातक हैं।
देश से निर्यात होने वाले बासमती चावल का 25% ईरान और 20% इराक जाता है। इन दोनों देशों को ही भारत से हर साल 16,000 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात किया जाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 (अप्रैल-जुलाई) में भारत का बासमती चावल निर्यात 19.1 लाख टन था, जिसमें से 19% ईरान को गया। 2023-24 में देश से 52.4 लाख टन बासमती चावल निर्यात हुआ, जिसमें ईरान को 6.7 लाख टन (कुल निर्यात का 13%) गया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और वैश्विक चावल बाजार के 35-40% पर उसका कब्ज़ा है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।