बाइडेन ने 1972 में एक एक्सीडेंट में खो दी थी पत्नी और बेटी; अब 78 साल में अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति

अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने चुनाव जीत लिया है। उन्होंने 273 इलेक्टोरल वोट हासिल करते हुए अमेरिका के अब तक राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप को मात दी है। 

Ujjwal Singh | Published : Nov 7, 2020 5:26 PM IST / Updated: Nov 07 2020, 11:30 PM IST

वॉशिंगटन. अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने चुनाव जीत लिया है। उन्होंने 273 इलेक्टोरल वोट हासिल करते हुए अमेरिका के अब तक राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप को मात दी है। जो बाइडेन का राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है। उन्होंने इस चुनाव को जीत कर एक नया रिकार्ड बनाया है, वह अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बन गए हैं।

जो बाइडेन का पूरा नाम जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन जूनियर है। उनका जन्म 1942 में पेन्सिलवेनिया के स्क्रैंटन में हुआ था। वे बचपन में ही डेलवेयर चले गए थे। 1972 में बाइडेन  सीनेट के लिए चुने गए। हालांकि, कुछ समय बाद ही उनके परिवार को बड़े हादसे से गुजरना पड़ा।

पत्नी और बेटी की हुई मौत
1972 में बाइडेन के परिवार की कार का एक्सीडेंट हो गया। इसमें उनकी पत्नी नीलिया और बेटी नाओमी की मौत हो गई। इस हादसे में उनके दोनों बेटे हंटर और ब्यू भी गंभीर तौर पर जख्मी हो गए।
 
ट्रेन से सफर कर बेटों को देखने जाते थे बाइडेन
बाइडेन अपने बेटों को देखने के लिए रोजाना विलमिंगटन से वॉशिंगटन डीसी तक का सफर एमट्रैक ट्रेन से करते थे। उन्होंने 5 साल तक अपने बेटों की देखभाल सिंगल फादर के तौर पर की। इसके बाद उन्होंने 1977 में जिल से शादी कर ली। दोनों को एश्ली नाम की एक बेटी भी है। एश्ली का जन्म 1981 में हुआ।

2015 में बड़े बेटे का हुआ निधन
2015 में बाइडेन के बड़े बेटे ब्यू का निधन कैंसर से हो गया। बाइडेन के छोटे बेटे हंटर वकील और लॉबिस्ट हैं। हालांकि, उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

कैसा रहा राजनीतिक सफर ?
बाइडेन 6 बार सीनेटर रह चुके हैं। वे तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव की रेस में हैं। सबसे पहले वे 1988 में चुनाव में उतरे थे, हालांकि, साहित्यिक चोरी के आरोप में उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 2008 में चुनाव के लिए कोशिश की।

दो बार उपराष्ट्रपति रहे बाइडेन
बाइडेन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के करीबी माने जाते हैं। वे ओबामा के राष्ट्रपति रहते 2008 से 2016 तक दो बार उपराष्ट्रपति रहे। इस बार भी ओबामा बाइडेन के लिए प्रचार करते नजर आए।

विवादों से रहा नाता
- बाइडेन का विवादों से पुराना नाता रहा है। 1998 में उन पर ब्रिटिश लेबर पार्टी के नील किन्नॉक के भाषण की साहित्यिक चोरी का आरोप लगा था। इसके अलावा बाइडेन ने यह भी स्वीकार किया था कि उन्होंने लॉ स्कूल में कानून की समीक्षा का लेख चोरी किया था।
- बाइडेन ने 2007 में दावा किया था कि इरान के ग्रीन जोन में उन्हें गोली लगी थी। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी सफाई में कहा, वे उस जगह के पास थे, जहां गोली चली थी।
- बाइडेन के सीनेट ऑफिस में काम करने वाली महिला ने उनपर वॉशिंगटन डीसी में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि बाइडेन ने 1993 में उनका यौन उत्पीड़न किया था।
 
भारत के लिए क्या है मायने?
चुनाव प्रचार के दौरान भले ही बाइडेन ने भारतीय मूल के वोटरों को ध्यान में रखते हुए नरमी बरती हो, लेकिन वे कश्मीर और नागरिकता कानून के मुखर विरोधी रहे हैं। जो बाइडेन ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद नेताओं की नजरबंदी पर विरोध जताया था। इतना ही नहीं, उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस भी जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कहा था कि हम उनके साथ खड़े हैं, मानवाधिकार के नियमों का उल्लंघन पूरी तरह गलत है।

पाकिस्तान पर नरम है रुख
वैसे तो जो बाइडेन कई मौकों पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त लड़ाई की बात कर चुके हैं। हालांकि, उनका पाकिस्तान के प्रति नरम रुख दिखता रहा है। ओबामा सरकार में जब पाकिस्तान को अमेरिका से आर्थिक मदद मिली, तब बतौर उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने अहम रोल निभाया था। पाकिस्तान सरकार ने जो बाइडेन को 2008 में अपने दूसरे सबसे बड़े सम्मान हिलाल ए पाकिस्तान से नवाजा था।

Share this article
click me!