पाकिस्तान में तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाले निशाने पर हैं। मंगलवार को कबाल तहसील के बड़ा बांदी इलाके में एक ब्लास्ट हुआ। इसमें पांच लोग मारे गए। डीपीओ ने कहा कि विस्फोट में दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
स्वात. खैबर पख्तूनख्वा के स्वात क्षेत्र की कबाल तहसील(Kabal tehsil of Khyber Pakhtunkhwa's Swat region) में मंगलवार शाम रिमोट कंट्रोल से हुए विस्फोट में 5 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। जिनकी जान गई, उनमें से एक की पहचान शांति समिति के सदस्य इदरीस खान(Idrees Khan, a member of a peace committee) के रूप में हुई। डिस्ट्रिक पुलिस आफिसर (DPO) जाहिद मारवत के मुताबिक, विस्फोट कबाल तहसील के बड़ा बांदी इलाके में हुआ। शवों को सैदु शरीफ टीचिंग हॉस्पिटल ले जाया गया। डीपीओ ने कहा कि विस्फोट में दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
टार्गेट शांति समिति के मेंबर इदरीस थे
शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह एक टार्गेट अटैक था। इदरीस खान इसका निशाना थे। वे शांति समिति(ग्राम रक्षा समितियां) के सदस्य थे। इनका गठन 2007 और 2009 के बीच तालिबान द्वारा क्षेत्र पर नियंत्रण करने के बाद स्वात में किया गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन समितियों के सदस्यों ने अपने गांवों और यूनियन काउंसिल की रक्षा के लिए तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। स्वात स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) फैयाज खान ने लोकल मीडिया को बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि हमला एक रिमोट कंट्रोल बम था, जिसने इदरीस को निशाना बनाया।
गाड़ी को बम से उड़ाया
इदरीस और उनके पुलिस गार्ड-हेड कांस्टेबल रामबिल और कांस्टेबल तौहीद एक व्हीकल में यात्रा कर रहे थे। जब वे शाम 6:30 बजे के करीब कोट कटाई गांव के पास पहुंचे, तभी यह विस्फोट हुआ। हमले में एक राहगीर सनाउल्लाह और एक अन्य अज्ञात व्यक्ति भी मारा गया। फैयाज ने कहा कि इदरीस जिस वाहन में यात्रा कर रहे थे, वह भी पूरी तरह से नष्ट हो गया। पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी है। विस्फोट की सूचना के तुरंत बाद खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने घटना का संज्ञान लिया और पुलिस आईजी से एक रिपोर्ट तलब की। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कसम खाई कि शहीदों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
इस बीच, बारा बंदाई के एक निवासी ने लोकल मीडिया को बताया कि शांति समितियों के सदस्यों को प्रतिबंधित संगठनों और आतंकवादियों द्वारा लंबे समय से धमकी दी जाती रही है। उन्होंने कहा, "आतंकवाद के दौरान इन लोगों ने तालिबान के खिलाफ बंदूकें उठाईं और उनका विरोध किया था।"
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