कनाडा के अल्बर्टा के एडमोंटन में भारत के उच्चायुक्त के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थकों के पास खंजर, तलवार और भाले थे।
कनाडा। कनाडा के अल्बर्टा के एडमोंटन में भारत के उच्चायुक्त के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थकों के पास खंजर, तलवार और भाले थे। उन्होंने भारत विरोधी नारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। ये विरोध 11 मार्च को इंडो-कैनेडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किया गया, जहां भारतीय राजनयिक संजय कुमार वर्मा उपस्थित थे।
एक बयान में संजय कुमार वर्मा ने कहा, "खालिस्तान समर्थक तत्वों ने कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।" इंडो-कैनेडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स से जुड़े आयोजन स्थल इवेरियो इवेंट्स सेंटर के बाहर खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों की संख्या लगभग 80 के करीब थी। खतरे की आशंका को देखते हुए राजनयिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने एडमोंटन पुलिस के साथ मिलकर बाहर एकत्र प्रदर्शनकारियों को कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने या कार्यक्रम को होने से रोकने से रोक दिया।
SFJ ने आयोजकों के जारी किए फ्लायर्स
भारतीय राजनयिक संजय कुमार वर्मा को एक सुरक्षा दल द्वारा कार्यक्रम स्थल तक ले जाया गया। SFJ ने आयोजन से पहले ICCC के आयोजकों की पहचान करते हुए फ़्लायर्स जारी किए थे। इसमें एडमॉन्टन चैप्टर के अध्यक्ष रवि प्रकाश सिंह भी शामिल थे, जिन्होंने इस आयोजन को एडमॉन्टन में चैंबर द्वारा आयोजित सबसे सफल आयोजन बताया। रवि प्रकाश ने कहा कि ये कार्यक्रम गैर-राजनीतिक, गैर-धार्मिक और विशुद्ध रूप से भारत और कनाडा के बीच व्यापार और कारोबार के बारे में था।
भारतीय राजनयिक संजय कुमार वर्मा के खिलाफ अपमानजनक नारे
खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने भारतीय राजनयिक संजय कुमार वर्मा के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए। उन्होंने कार्यक्रम भरपुर बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की। एडमॉन्टन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शारीरिक रूप से नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप किया क्योंकि प्रदर्शनकारी उस गाड़ी के पास जाने की कोशिश कर रहे थे, जिसमे भारतीय राजनयिक को ले जाया जा रहा था। कनाडा के एक भ्रष्टाचार विरोधी पत्रकार ने एक घटना का जिक्र किया जहां एक प्रदर्शनकारी ने उन पर नस्लवाद का झूठा आरोप लगाया और भीड़ के बीच हिंसा भड़काने का प्रयास किया।
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