भारत ने फिलीपींस के साथ किया BrahMos Deal तो चीन ने दी 20 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता

भारत ने फिलीपींस के साथ सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के निर्यात की डील फाइनल की तो इसके जवाब में चीन ने फिलीपींस को 20 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता दी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2022 6:56 PM IST

मनीला। भारत ने फिलीपींस के साथ सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के निर्यात की डील (BrahMos Deal) फाइनल की तो इसके जवाब में चीन ने फिलीपींस को 20 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता दी है। चीन ने 16 जनवरी को मनीला (फिलीपींस की राजधानी) को रक्षा उपकरण दिए। फिलीपींस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की तीन बैटरियों की खरीद के लिए आगे बढ़ने की घोषणा के दो दिन बाद चीन ने यह कदम उठाया।

चीन द्वारा दान किए गए रक्षा उपकरणों में बचाव और राहत उपकरण, ड्रोन सिस्टम, डिटेक्टर, जल शोधन वाहन, एम्बुलेंस, फायरट्रक, एक्स-रे मशीन, परिवहन वाहन, ईओडी रोबोट, बम डिस्पोजल सूट, इंजीनियरिंग उपकरण, डंप ट्रक, फोर्कलिफ्ट और अर्थमूवर शामिल हैं। सैन्य सामानों की दूसरी खेप जल्द ही पहुंचाई जाएगी।

भारत ने किया था 375 मिलियन डॉलर का सौदा
भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के लिए फिलीपींस से 375 मिलियन डॉलर का अब तक का अपना सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा हासिल किया था। फिलीपींस के मीडिया आउटलेट इन्क्वायरर के अनुसार, रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना ने बताया कि दान का वादा उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेनघे द्वारा 2020 में मनीला की यात्रा के दौरान किया गया था। लोरेंजाना ने कहा कि यह एक बड़ी मदद है। यह देश के कुछ बड़े उपकरणों की कमी को पूरा करने में मदद करेगा।

दरअसल, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के वर्तमान नेतृत्व में मनीला और बीजिंग ने अपने संबंधों को आगे बढ़ाया है। 2016 में दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय अधिकारों पर चीन के दावे को खारिज करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले के बावजूद दुतेर्ते नेतृत्व ने चीन के प्रति नरम दृष्टिकोण पर जोर दिया है। ऐसा कहा जाता है कि दुतेर्ते द्वारा अपनाया गया नरम रुख ऋण और निवेश के बदले में है।

बता दें कि फिलीपींस में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इसे देखते हुए हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अगले नेता से दुतेर्ते की विदेश नीति को जारी रखने का आग्रह किया था। वांग यी ने कहा था कि दुतेर्ते की विदेश नीति ने दोनों देशों के उद्देश्य को पूरा किया है। 2016 में राष्ट्रपति बने दुतेर्ते देश की एक कार्यकाल की सीमा के अनुरूप मई में चुनाव के बाद पद छोड़ देंगे।


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