बीजिंग/नई दिल्ली। अमेरिका-रूस के बाद चीन दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है। चीन की बढ़ती न्यूक्लियर पावर को लेकर अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने हाल ही में अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है, जो भारत के लिए बेहद चिंता की बात है। इस मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन कैसे अपने परमाणु बमों के भंडार को तेजी से बढ़ा रहा है। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका की टेंशन भी बढ़ने वाली है।
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2020 की तुलना में अपने परमाणु हथियारों का भंडार लगभग तीन गुना बढ़ाया है। यानी पिछले 4 साल में उसकी एटमी ताकत काफी बढ़ चुकी है। 18 दिसंबर को जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में चीन के परमाणु बमों की संख्या 600 से ज्यादा हो चुकी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन जिस स्पीड से अपने परमाणु भंडार को बढ़ाने में लगा है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि 2030 तक उसके पास 1000 से ज्यादा परमाणु बम होंगे। इनमें से कई एटम बम को ड्रैगन पूरी तरह से तैनाती वाले मोड में रखेगा। अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारी के मुताबिक, चीन न सिर्फ एटमी हथियार बढ़ा रहा है, बल्कि इन्हें कई तरह से डेवलप कर रहा है। ड्रैगन इस वक्त कम क्षमता वाली सटीक स्ट्राइक मिसाइलों से लेकर ICBM तक की प्रणालियों पर काम कर रहा है।
पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल पहले यानी 2023 तक चीन के पास परमाणु बमों की संख्या 500 के आसपास थी। यानी बीते एक साल में उसने 100 न्यूक्लिकर हथियार बना लिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए अपने फास्ट ब्रीडर न्यूक्लियर रिएक्टरों का इस्तेमाल कर सकता है। इतना ही नहीं, चीन की पीपुल्स रिपब्लिक आर्मी की बढ़ती ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसकी रेंज में अमेरिका के कई बड़े शहर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से परमाणु बम बना रहे चीन के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2050 तक पीपुल्स आर्मी को दुनिया की सबसे बड़ी सेना बनाना चाहते हैं, लेकिन चीनी सरकार के साथ ही सेना में बढ़ते भ्रष्टाचार ने उनके लक्ष्य को पीछे धकेलने का काम किया है।
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