चीन की वुहान लैब से ही लीक हुआ था coronavirus, यूएस की एक रिपोर्ट ने किया दावा-इसके पर्याप्त सबूत हैं

दुनियाभर में हाहाकार मचाने वाला कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से ही लीक हुआ था। अमेरिका की एक रिपोर्ट ने फिर से यह दावा किया है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2021 9:04 AM IST

वाशिंगटन. अमेरिका रिपब्लिकंस (US Republicans) की रिपोर्ट ने दावा किया है कि ऐसे कई सबूत मिले हैं, जो साबित करते हैं कि कोविड (19COVID-19) महामारी चीन की रिसर्च फैसिलिटी(वुहान लैब) से लीक हुई थी। हालांकि चीन इसे नकारता रहा है। अमेरिका रिपब्लिकंस ने सोमवार को इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है। इसकी वैज्ञानिक जांच की जा रही है।

रिपोर्ट का दावा; इसके पर्याप्त सबूत हैं
रिपोर्ट में पर्याप्त सबूत का भी हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) के वैज्ञानिक(अमेरिकी विशेषज्ञों और चीनी और अमेरिकी सरकार के फंड से सहायता प्राप्त)  मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए कोरोनवीरस को संशोधित करने के लिए काम कर रहे थे। इस हेरफेर को छुपाया गया। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के शीर्ष रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक मैककॉल ने पैनल के रिपब्लिकन स्टाफ की रिपोर्ट जारी की। इसमें COVID-19 कोरोनावायरस महामारी की उत्पत्ति की द्विदलीय(bipartisan) जांच का आग्रह किया गया है। बता दें कि इस महामारी ने दुनिया भर में 4.4 मिलियन लोगों की जान ले ली है।

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 सीफूड के जरिये वायरस मनुष्यों तक पहुंचा
आशंका है कि वुहान लैब से लीक हुआ जेनेटिक रूप से संशोधित कोरोनावायरस वुहान में सी फूड के जरिये मनुष्यों तक पहुंचा। रिपोर्ट में कहा गया कि सबूतों की प्रबलता यह साबित करती है कि यह वायरस 12 सितंबर, 2019 से कुछ समय पहले लीक हुआ था।

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अमेरिकी मीडिया के दावे का चीन ने किया था खंडन
जून में अमेरिकी मीडिया वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि उसे 866 पन्नों का एक लीक ईमेल मिला है। यह 28 मार्च 2020 को चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक जॉर्ज गाओ ने डॉ फाउची को किया था। मेल में गाओ नेफाउची से अमेरिका में लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रेरित नहीं करने के लिए माफी मांगी गई थी। गाओ ने अमेरिका को चेताया था कि वो अपने लोगों को मास्क नहीं पहनने के लिए कहकर गलती कर रहा है। हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन जून में पहले ही एक प्रेस कान्फ्रेंस करके इन सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने इसे एक साजिश बताया था। बता दें कि डॉ. एंथोनी डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल से अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार हैं।

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अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री ने भी किया था दावा
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी कहा था कि मौजूदा सबूत ये संकेत देते हैं कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले जैव-हथियारों और जैव-आतंक का जोखिम वास्तविक है।

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने लगाए आरोप
कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया के द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाकर रिपोर्ट छापी थी। इसमें दावा किया गया था कि चीन पिछले 6 साल से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है, चीनी वैज्ञानिक 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे। चीनी वैज्ञानिक ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चर्चा की थी कि इसे कैसे महामारी के तौर पर बदला जा सकता है।

पहले भी लग चुके चीन पर आरोप 
चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप पहली बार नहीं लगा। इससे पहले पिछले साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसे चीनी वायरस तक कहा था। अमेरिका के अलावा यूरोप के तमाम देशों ने भी चीन पर कोरोना फैलाने को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। हाल ही में ब्राजील के राष्ट्रपति ने भी कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था।

 

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