
एजेंसी. भारत, नेपाल समेत अपने पड़ोसी देशों पर बुरी नीयत के तहत कदम उठाने वाले चीन ने ताइवान को लेकर एक नई चाल चली है। चीनी सेना ने ताइवान पर आक्रमण की तैयारी करते हुए दक्षिण-पूर्वी तट पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों में बढ़ोतरी की है। सूत्रों के अनुसार, चीन उस इलाके में तैनात अपनी पुरानी मिसाइल डीएफ-11एस और डीएफ-15एस को सबसे मॉर्डन हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 से बदल रहा है। चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल धीरे-धीरे पुरानी डीएफ-11 एस और डीएफ-15एस को बदल देगी, जोकि दक्षिण-पूर्वी तट पर तैनात थीं।
सूत्रों की मानें तो चीन की नई एडवांस मिसाइलों की रेंज पहले वाली की तुलना में कहीं ज्यादा है और लक्ष्य को अधिक सटीकता के साथ हिट करने में समक्ष हैं।'' भले ही ताइवान कभी भी चीनी सत्तारूढ़ पार्टी के द्वारा नियंत्रित नहीं किया गया हो, लेकिन चीन ताइवान को अपनी सीमा का हिस्सा कहता रहा है। कनाडा स्थित कानवा डिफेंस रिव्यू के अनुसार, सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि फुजियान और ग्वांगडोंग के दोनों मरीन कॉर्प्स और रॉकेट फोर्स बेस का विस्तार हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया, ''फुजियान और ग्वांगडोंग में हर रॉकेट फोर्स ब्रिगेड अब पूरी तरह से हथियारों से सुसज्जित है।" आगे कहा गया, "पूर्वी और दक्षिणी थिएटर कमांड की कुछ मिसाइलों का आकार भी हाल के वर्षों में दोगुना हो गया है। '' इससे पता चलता है कि पीएलए ताइवान के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रही है।
ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास में की थी वृद्धि
आम तौर पर चीन अपने पड़ोसियों पर बुरी नीयत रखता है। लेकिन भारत के मामले में उसे मुहं की खानी पड़ी थी। लेकिन हाल के वर्षों में चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास में वृद्धि की है। लगभग 40 चीनी युद्धक विमानों ने 18-19 सितंबर को मुख्य भूमि और ताइवान के बीच की रेखा को पार किया है।
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