
वर्ल्ड डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शनिवार को चीन से आयात होने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया था। चीन ने जैसे को तैसा वाली रणनीति के तहत अमेरिका से आने वाले सामानों पर शुल्क लगा दिया है। इसके साथ ही चीन ने गूगल के खिलाफ अविश्वास-विरोधी उल्लंघन की जांच शुरू की है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि अमेरिका के कोयला और LNG पर 15 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वहीं, कच्चा तेल, खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और अधिक ताकत वाली कारों पर 10 फीसदी टैरिफ लगा है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "अमेरिका ने एकतरफा शुल्क बढ़ाकर WTO (World Trade Organisation) के नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है। इससे हमारी समस्याओं का समाधान करने में मदद नहीं मिलेगी। इससे चीन और अमेरिका के बीच सामान्य आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को नुकसान होगा।"
चीन अमेरिकी टेक कंपनी गूगल के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट उल्लंघन की जांच करेगा। बता दें कि गूगल का सर्च इंजन चीन में ब्लॉक है। गूगल चीन में विज्ञापनदाताओं सहित स्थानीय भागीदारों के साथ काम करती है।
चीन अमेरिका के साथ व्यापार में फायदे की स्थिति में चीन अमेरिका को निर्यात अधिक आयात कम करता है। इसके चलते ट्रेड वार में उसे अधिक नुकसान सहना पड़ सकता है। जहाज-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार पिछले साल अमेरिका ने चीन के एलएनजी आयात का लगभग 6% हिस्सा आपूर्ति किया। चीन अमेरिका से बहुत कम कोयला आयात करता है। चीन में Google की सर्च और इंटरनेट सेवाएं 2010 से बंद हैं।
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चीन ने कहा है कि टंगस्टन से संबंधित सामग्रियों पर निर्यात पर नियंत्रण किया जाएगा। चीन टंगस्टन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके पास वैश्विक उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा है। टंगस्टन का इस्तेमाल आमतौर पर रक्षा उद्योग में कवच-भेदी मिसाइलों में किया जाता है।
अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के पहले 11 महीनों में अमेरिका ने चीन से 401 बिलियन डॉलर (34.92 लाख करोड़ रुपए) का सामान आयात किया। व्यापार घाटा 270 बिलियन डॉलर (23.52 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा रहा।
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