
China Pakistan Relations: चीन के साथ दोस्ती को पाकिस्तान समुद्र से गहरी और हिमालय से ऊंची बताता है। लंबे समय से माना जाता रहा है कि दोनों देशों के बीच का रिश्ता लोहे की तरह मजबूत है। हालांकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद की घटनाओं में साफ दिखा कि लोहे जैसी दोस्ती में दरार पड़ गई है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बहुत से लोग चीन द्वारा पाकिस्तान का स्पष्ट समर्थन दिखाने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चीन ने कूटनीतिक सावधानी से प्रतिक्रिया दी। उसने भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष निंदा नहीं की। आइए चीन की चाल के पीछे की 7 वजहों को जानते हैं।
चीन और भारत के बीच सालाना व्यापार 11.92 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। चीन अच्छी तरह जानता है कि भारत के साथ तनाव बढ़ाने से उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होगा। चीन की अर्थव्यवस्था पहले से खराब स्थिति में है। भारत चीन के सबसे बड़े निर्यात बाजारों में से एक के रूप में उभरा है। पाकिस्तान के चलते चीन भारत के साथ आर्थिक साझेदारी खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकता था।
2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन और भारत दोनों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। चीन द्वारा पाकिस्तान के आतंकी एजेंडे का खुलेआम समर्थन करने से न केवल इन कूटनीतिक उपलब्धियों को नकारा जा सकता है, बल्कि इससे भारत द्वारा चीनी तकनीक पर और प्रतिबंध लगाने का जोखिम बढ़ सकता है। भारत ने पहले ही बहुत से चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं। चीन ने नए सिरे से टकराव से बचने के लिए सीमा स्थिरता को प्राथमिकता दी है।
चीन सक्रिय रूप से खुद को ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में स्थापित करना चाहता है। पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति का खुला समर्थन करने से उसकी छवि को गंभीर नुकसान पहुंचता।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल का आधार है। यह पहले से ही पाकिस्तान के भीतर आंतरिक असुरक्षा और आतंकवाद के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई होने से अरबों डॉलर के इस निवेश को गंभीर जोखिम हो सकता था।
चीन की विदेश नीति अक्सर सीधे टकराव की बजाय अप्रत्यक्ष दबाव और रणनीतिक संकेत देने को तरजीह देती है। चीन हथियारों की बिक्री, संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक समर्थन और पिछले दरवाजे से पाकिस्तान का समर्थन करना जारी रखे हुए है। वहीं, भारत के साथ खुली दुश्मनी दिखाने से भी बच रहा है।
आतंकवाद को लेकर चीन दोहरा रवैया अपनाता है। एक ओर वह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की निंदा करता है। वहीं, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को रोकने के लिए अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करता है।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंध, खास तौर पर क्वाड और संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौतों जैसे पहल चीन के लिए चिंता का विषय हैं। चीन को जानता है कि पाकिस्तान का खुलकर साथ देने से अमेरिका भारत को अधिक मदद कर सकता है। इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में जो बदलाव आएगा वह लंबे समय में चीन के लिए ठीक नहीं होगा।
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