NSA अजीत डोभाल की 31 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका की विजिट दोनों देशों के रिश्तों में एक नई क्रांति लेकर आ रही है, वो कैसे? दरअसल, डोभाल ने वाशिंगटन में अमेरिकी NSA जेक सुलिवनके साथ iCET पर हाईलेवल मीटिंग में भाग लिया।
वाशिंगटन. NSA अजीत डोभाल की 31 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका की विजिट दोनों देशों के रिश्तों में एक नई क्रांति लेकर आ रही है, वो कैसे? दरअसल, डोभाल ने वाशिंगटन में अमेरिकी NSA जेक सुलिवन(NSA Jake Sullivan) के साथ क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) पर हाईलेवल मीटिंग में भाग लिया।
क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज पर पहल (iCET) भारत और अमेरिका द्वारा आउटकम-ओरियंटेड पार्टनरशिप की सुविधा के लिए शुरू की गई थी। और नई मैकेनिज्म का नेतृत्व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाएगा। बता दें कि इसे लेकर आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर(Rajeev Chandrasekha) ने एक tweet किया है। इसमें उन्होंने लिखा कि दुनिया के 2 सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र रणनीतिक तकनीकी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी कर रहे हैं, जो भविष्य के लिए तकनीक और नवाचार (good for future of Tech n innovation) के लिए अच्छा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और भारत के प्रधान मंत्री मोदी ने मई 2022 में दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी(strategic technology partnership) और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने और विस्तारित करने के लिए क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) पर अमेरिका-भारत पहल की घोषणा की थी। अमेरिका और भारत की iCET चीन जैसे संदिग्ध देशों की साजिशों को नाकाम करने का काम करेगी। अमेरिकी NSA सुलिवन भी मानते हैं कि इससे भारत और अमेरिका की सामरिक प्रौद्योगिक साझेदारी(Strategic Technology Partnership) को स्पीड मिलेगी।
‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आइसीईटी) के तहत भारत और अमेरिका 6 ऐसे बड़े बिंदुओं पर काम करने वाले हैं, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा। यही वजह है कि चीन के लिए यह एक टेंशन बन गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने आईसीईटी के तहत एक स्थायी तंत्र के माध्यम से दोनों देशों में रेग्युलेरी बैरियर्स और व्यापार और प्रतिभा गतिशीलता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।
ज्वाइंट डेवलपमेंट और प्रॉडक्शन के लिए दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग में तेजी लाने के लिए एक नया द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप विकसित करना, जेट इंजन, गोला-बारूद से संबंधित प्रौद्योगिकियों और अन्य प्रणालियों से संबंधित प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च करना इसका मकसद है। यानी दोनों देश एक नया इनोवेशन ब्रिज लॉन्च कर रहे हैं, जो यूएस और भारतीय रक्षा स्टार्टअप को जोड़ेगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत 2023 में बाद में नई दिल्ली में होने वाली अगली आईसीईटी बैठक की तैयारी में जुटे हैं। दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद अपने संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाने और हितधारकों के साथ जुड़ने के लिए अपने समकक्षों के साथ काम करने के लिए समन्वय करेंगी। इसके अलावा 5जी और 6जी में रिसर्च और डेवलपमेंट पर सहयोग को आगे बढ़ाना और इस क्षेत्र के भीतर बड़े पैमाने की वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देना है।
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