विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इसके बाद जयशंकर ने कहा कि भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का तर्क हैरान करने वाला है। भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है।
S Jaishankar Meets Vladimir Putin: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को के क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इसके बाद रूसी तेल की खरीद को लेकर किए गए सवाल के जवाब में अमेरिका को कड़ी बात सुना दी। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है। अमेरिकी तेल खरीद में वृद्धि हुई है। चीन सबसे ज्यादा रूसी तेल खरीदता है।
जयशंकर ने X पर पोस्ट किया, “आज क्रेमलिन में राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुंचाया। उन्हें पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया। नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियां अच्छी तरह से चल रही हैं। वैश्विक स्थिति और यूक्रेन पर हाल के घटनाक्रमों पर उनके विचार साझा करने की सराहना करता हूं।”
<br>तीन दिन की यात्रा पर रूस गए हैं एस. जयशंकर</h2><p>रूस की अपनी 3 दिवसीय यात्रा के दौरान, जयशंकर ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने मास्को में भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक को संबोधित किया। इससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए।</p><p><br>जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा की। दोनों ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार शेयर किए। लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवालों के जवाब देते हुए जयशंकर ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले का जिक्र किया। कहा कि भारत नहीं, चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। यूरोपीय संघ एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार है। भारत को टैरिफ लगाने के लिए दिया गया तर्क हैरान करने वाला है। भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है। वह मात्रा बढ़ गई है। जयशंकर ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, </p><div type="dfp" position=3>Ad3</div><blockquote><p>हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। हम वह देश नहीं हैं, जिसका 2022 के बाद रूस के साथ सबसे बड़ा व्यापार उछाल आया है। मुझे लगता है कि दक्षिण में कुछ देश हैं। हम एक ऐसे देश हैं जहां अमेरिकियों ने पिछले कुछ वर्षों से कहा है कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए सब कुछ करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। संयोग से, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और वह मात्रा बढ़ गई है। इसलिए ईमानदारी से कहूं तो, हम उस तर्क से बहुत हैरान हैं जिसका आपने (मीडिया) ने उल्लेख किया था। </p></blockquote><h2><br>रूसी तेल खरीदने के लिए अमेरिका ने भारत पर लगाया है 50% टैरिफ </h2><p>अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई में भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीद थी जो ऊंचे टैरिफ से बचने में मदद करता। कुछ दिनों बाद, उन्होंने रूसी तेल आयात का हवाला देते हुए 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इससे कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया। </p><p><br>जयशंकर ने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से रूस के साथ ऊर्जा सहयोग बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, </p><div type="dfp" position=4>Ad4</div><blockquote><p>हमने द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित और टिकाऊ तरीके से विस्तारित करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की, जिसमें रूस को भारत का निर्यात बढ़ाना भी शामिल है। इसके लिए गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को तेजी से दूर करने की आवश्यकता है। कृषि, फार्मा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारत के निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलेगी।</p></blockquote><p> </p>
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