
NASA Parker Probe Mission For Sun: पिछले 70 साल से वैज्ञानिक सूर्य की सबसे नाटकीय घटनाओं में से एक सोलर मिस्ट्री और कोरोनाल मास इजेक्शन के पीछे के कारणों को खोज रहे हैं। सूर्य में होने वाला ये प्रचंड विस्फोट भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है, जिसका सीधा असर पृथ्वी पर पड़ सकता है। वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के पार्कर सोलर प्रोब ने अब 7 दशक पुराने उस सौर रहस्य को सुलझा लिया है, जो सूर्य में पैदा होने वाली ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन को प्रेरित करता है। ये कामयाबी अंतरिक्ष मौसम अनुसंधान और पृथ्वी संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
बता दें कि नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के रहस्यों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। ये अंतरिक्ष यान सूर्य के कोरोना (बाहरी वायुमंडल) में प्रवेश करने वाला पहला मानव निर्मित यान बन गया है। साथ ही सूर्य के अब तक के सबसे करीब से गुजरने का रिकॉर्ड भी बना लिया है। पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की सतह के पास सौर हवा की संरचना, स्विचबैक (चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में अचानक आनेवाला बदलाव) और कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य से निकलने वाले प्लाज्मा के विशाल बादल) की स्टडी की है। इससे सूर्य के बिहैवियर और सोलर विंड को समझने में काफी मदद मिलेगी।
नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सीधे सूर्य के बाहरी वायुमंडल में प्रवेश किया और कई अहम ऑब्जर्वेशन किए हैं, जो लंबे समय से रहस्य बने हुए थे। इस अंतरिक्ष यान ने मैग्नेटिक रिकनेक्शन से जुड़ी चीजें दर्ज कीं। ये एक ऐसी प्रॉसेस है, जिसमें प्लाज्मा में उलझी हुई मैग्नेटिक फील्ड लाइंस टूटती और फिर जुड़ जाती हैं। इस प्रक्रिया में सूर्य में संग्रहित ऊर्जा का विस्फोट होता है। इन सोलर विस्फोट से अंतरिक्ष में तमाम तरह के मौसम बनते हैं जो सैटेलाइट्स, जीपीएस, कम्युनिकेशन सिस्टम और यहां तक कि पृथ्वी पर बड़े पावर ग्रिडों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
पिछले 70 सालों से सूर्य में होने वाले मैग्नेटिक रिकनेक्शन को केवल अप्रत्यक्ष रूप से या सिमुलेशन के जरिये ही देखा गया था। लेकिन पार्कर सोलर प्रोब ने अब सूर्य में होने वाली इस घटना की प्रत्यक्ष पुष्टि की है। 6 सितंबर, 2022 को सोलर प्रोब जब सूर्य के सबसे निकट पहुंचा तो उसने एक शक्तिशाली विस्फोट का पता लगाया। यान में लगे उपकरणों ने पूरी सटीकता के साथ प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की गतिविधि दर्ज की, जबकि कॉम्प्लीमेंट्री डेटा ESA के सौर ऑर्बिटर से मिले।
वैज्ञानिक अब ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या टर्बुलेंस, मैग्नेटिक फ्लक्चुएशंस या वेव एक्टिविटी भी इन सौर विस्फोटों में योगदान करती है? इससे अंतरिक्ष मौसम का पहले से ज्यादा सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी। बता दें कि सूर्य में विस्फोटक ऊर्जा कैसे निकलती है, इसके बारे में सटीक स्टडी कर वैज्ञानिक भविष्य में विनाशकारी सौर तूफानों की भविष्यवाणी कर पृथ्वी पर होनेवाली भयंकर तबाही को बचा सकते हैं।
बता दें कि पार्कर प्रोब का नाम शिकागो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया है। NASA ने यह मिशन 12 अगस्त, 2018 को कैप कैनवेरल एयर फोर्स स्टेशन से यूएसए डेल्टा 4 हैवी रॉकेट से लॉन्च किया था। इस मिशन का मकसद इस बात का पता लगाना था कि सूर्य में होनेवाली किन हलचलों से पृथ्वी और दूसरे ग्रहों को नुकसान पहुंच सकता है। पार्कर प्रोब यान को इस तरह बनाया गया है कि वो सूर्य की ज्यादा गर्मी को भी बड़े आराम से झेल सकता है। नासा के मुताबिक, इस अंतरिक्ष यान की स्पीड 6 लाख 92 हजार किमी प्रति घंटा से ज्यादा है।
सोर्स : ये रिसर्च साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (SwRI) द्वारा नासा के पार्कर सोलर प्रोब से प्राप्त आंकड़ों और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर ऑर्बिटर के सहयोग से की गई थी। इसके निष्कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुए थे।
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