
नई दिल्ली. आर्थिक संकट में डूबे श्रीलंका की मदद के लिए भारत लगातार आगे आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( Prime Minister Narendra Modi) ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे(Gotabaya Rajapaksa) को भारत से उर्वरक की मदद देने का वादा किया है, ताकि कर्ज में डूबे देश को फसल के नुकसान और सबसे खराब आर्थिक संकट(economic crisis) से होने वाली गंभीर खाद्य कमी को दूर करने में मदद मिल सके। (यह तस्वीर 28 मई की है, जब प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के राष्ट्रपति आवास के बाहर हंगामा किया था, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और पानी के गोले दागे थे )
धान की खेती में गिरावट
श्रीलंका सरकार धान की खेती में गिरावट के बाद कृषि बाजार में किसी भी समस्या से बचने के लिए अपने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का लक्ष्य बना रहा है। श्रीलंका में धान की खेती का मौसम मई और अगस्त के बीच रहता है। श्रीलंका सरकार ने पिछले साल जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध तरीके से रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जैविक उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति की कमी ने कृषि उत्पादन, विशेष रूप से चावल और चाय को प्रभावित किया और 50 प्रतिशत फसल का नुकसान हो गया। इससे अनाज का संकट पैदा हो गया। राजपक्षे ने कुछ हफ्ते पहले स्वीकार किया था कि रासायनिक उर्वरकों को 100 प्रतिशत जैविक करने पर प्रतिबंध लगाने का उनका निर्णय गलत था। किसानों ने चेतावनी दी है कि देश में चल रहे आर्थिक संकट में मध्य अगस्त तक भोजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
भारत 65000 टन यूरिया भेजेगा
पिछले महीने भारत ने श्रीलंका को धान की खेती में किसी भी समस्या से बचाने के लिए तुरंत 65,000 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई करने का भरोसा दिलाया था श्रीलंकाई हाईकमिशन ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर श्रीलंका को यूरिया की सप्लाई करने का फैसला किया है, वो भी तब जब भारत से यूरिया के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। श्रीलंका महा सत्र(Maha session) के दौरान धान की खेती में गिरावट के बाद कृषि बाजार में किसी भी समस्या से बचने के लिए अपने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का लक्ष्य बना रहा है।
उवर्रक का इम्पोर्ट करीब 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर
श्रीलंका के वार्षिक उर्वरक आयात की लागत 400 मिलियन अमरीकी डालर है। देश भर के किसानों ने उर्वरक की कमी का विरोध करते हुए कहा है कि उन्हें अपने खेत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। श्रीलंका में 20 लाख से अधिक किसान हैं और इसकी 22 मिलियन लोगों में से 70 प्रतिशत तक डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से कृषि पर निर्भर हैं। भारत ने कर्ज में डूबे श्रीलंका को इस साल जनवरी से ऋण, क्रेडिट लाइनों और क्रेडिट स्वैप में 3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का वादा किया है, ताकि पड़ोसी देश की मदद की जा सके जो अपनी आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। बता दें कि श्रीलंका का आर्थिक संकट आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण हुआ है। इसका मतलब यह है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए पेमेंट नहीं कर सकता है, जिससे चीजों की कमी हुई और महंगाई बढ़ गई। इस संकट ने जन आंदोलन खड़ा किया।
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