श्रीलंका को आर्थिक संकट में छोड़कर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे इस्तीफा देने से पहले ही मालदीव भाग निकले। इस बीच चुनाव आयोग ने एक अलग तरह की चिंता जताई है। उसका कहना है कि यहां अगले 4 महीने तक आम चुनाव करा पाना आसान नहीं है, क्यों? जानिए इसकी वजह...
कोलंबो. आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका(Economic Crisis in Sri Lanka) को पटरी पर लाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। 2009 में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद श्रीलंका अपने इतिहास में सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) ने 13 जुलाई को पद छोड़ने का ऐलान किया था, लेकिन इससे पहले ही वे लोगों के गुस्से से डरकर मालदीव भाग गए हैं। गोटबाया 8 जुलाई से कोलंबो में नजर नहीं आए। वे मंगलवार को भी देश छोड़कर भागने की फिराक में थे, लेकिन पोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट सील कर दिया था। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश से भाग जाने के बाद श्रीलंका ने आपातकाल की घोषणा की है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री कार्यालय के हवाले से यह जानकारी दी गई।
बता दें कि श्रीलंकाई संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने(Speaker Mahinda Yapa Abeywardena) ने 11 जुलाई को बुलाई पार्टी नेताओं की मीटिंग में खुलासा किया था कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे। 15 जुलाई को संसद बुलाई जाएगी और सदन को खाली प्रेसीडेंसी के खाली पद के बारे में सूचित किया जाएगा। इसके बाद 19 जुलाई को नामांकन मांगे जाएंगे और 20 जुलाई को मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग होगी। हालांकि देश में आम चुनाव कराना इतना आसान नहीं हैं।
चुनाव आयोग ने जताई चिंता
श्रीलंकाई चुनाव आयोग के अध्यक्ष निमल पुंचिहेवा(President of the Election Commission, Nimal Punchihewa) ने कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में आम चुनाव कराने में कम से कम चार महीने लगेंगे। चुनाव आयोग प्रमुख ने कहा कि चुनाव से पहले लोगों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ज्यादातर उम्मीदवार लोगों का सामना कर पाएंगे। प्रतिकूल जनमत(adverse public opinion) को देखते हुए अधिकांश सांसद चुनाव लड़ने से हिचकिचाएंगे। निमल ने कहा-फिर फाइनेंस की बात भी है। मुझे लगता है कि चुनाव पर 10 बिलियन खर्च करने होंगे। मुझे नहीं लगता कि हम चुनाव के लिए पर्याप्त फ्यूल जुटा पाएंगे। 22 मिलियन की आबादी वाले श्रीलंका पर इस समय 50 बिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज है। इसमें से उसे 2027 तक 28 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया मालदीव में उतरे
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) बुधवार को अपना इस्तीफा देने से पहले मालदीव की राजधानी माले पहुंच गए। मालदीव के सूत्रों के हवाले से मीडिया ने कहा कि मंगलवार रात वेलाना हवाईअड्डे पर मालदीव सरकार के एक प्रतिनिधि ने उनका स्वागत किया। इससे पहले सोमवार की रात राजपक्षे और उनके भाई बेसिल (जो श्रीलंका के पूर्व वित्त मंत्री भी हैं) को कोलंबो हवाई अड्डे पर वापस कर दिया गया था। उन्होंने लोगों के गुस्से के बीच देश छोड़ने का प्रयास किया था। राष्ट्रपति और उनके परिवार के सदस्य 15 पासपोर्ट के साथ हवाई अड्डे पर पहुंचे थे, इनमें श्रीलंका की फर्स्ट लेडी इओमा राजपक्षे भी शामिल थी। उन्होंने मंगलवार शाम 6:25 बजे दुबई के लिए रवाना होने वाली श्रीलंकाई एयरलाइंस की फ्लाइट में सीट बुक की थी।
कर्ज देने वालों को मनाना मुश्किल हो रहा
सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के भगोड़े पूर्व गवर्नर अर्जुन महेंद्रन( Fugitive Former Governor of the Central Bank of Sri Lanka Arjuna Mahendran) ने फिलीपींस के मीडिया को बताया है कि श्रीलंका सरकार को कर्जदाताओं(persuade lenders) को मनाने में मुश्किल हो रही है। पिछला कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से सरकार को उधारदाताओं, यहां तक कि पड़ोसी भारत को भी नए पैसे लगाने के लिए राजी करना मुश्किल हो रहा है। अर्जुन महेंद्रन ने कहा कि नई सरकार ने अचानक करों में कटौती की, जिसने यह मुद्रास्फीति( inflationary pressure) का दबाव पैदा हो गया। उर्वरक के इम्पोर्ट के संबंध में कृषि नीति में बदलाव आया था, जहां रासायनिक उर्वरक से जैविक में स्विच किया गया था और इससे चाय और अन्य उत्पादों का निर्यात करने वाले बागानों पर गहरा असर पड़ा था। COVID से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पहले से ही लड़खड़ा रही थी। बता दें कि 2015 और 2016 के सेंट्रल बैंक ट्रेजरी बॉन्ड घोटाले में दर्ज मामले में अर्जुन महेंद्रन पहले संदिग्ध हैं। रिपोर्टों के अनुसार सेंट्रल बैंक बांड लेनदेन में अनियमितताएं सामने आने और जांच शुरू होने के तुरंत बाद वह श्रीलंका से सिंगापुर भाग गया था। इंटरपोल के जरिये सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर अर्जुन महेंद्रन की गिरफ्तारी के लिए दो रेड नोटिस के साथ सिंगापुर से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध अभी भी लंबित हैं।
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